वो कौन से डॉक्टर और अस्पताल है जो हजारों लोगों को रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन लाने के लिए कह रहे है!
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क्या यह रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा बनाने वालों की कोई मार्केटिंग साजिश का हिस्सा है!
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विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इसके व्यापक और बिना मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और कंडीशन को जाने उपयोग करने पर घातक और जानलेवा बताया है!
@ प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़ इंदौर
इंदौर। भारत में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने अभी तक तीन कंपनियां मायलन (पीथमपुर), सिप्ला (गोवा) और हेट्रो ड्रग्स (हैदराबाद) कंपनी को रेमडेसिवीर का उत्पादन करने की मान्यता दी है। इन तीनों कंपनी की सालाना 3 करोड़ रेमडेसिवीर 100 मिलीग्राम शिशियों के उत्पादन की क्षमता है। इसके अलावा डॉ. रेड्डीज, जायडस और कैडिला जैसी दिग्गज फार्मास्युटिकल कंपनियां भी रेमडेसिवीर दवा का सालाना 1 करोड़ शिशियों का उत्पादन कर रहे हैं, तो फिर शार्टेज कैसे और क्यों हो रही है, जबकि भारत में सन् 2020 से आज दिनांक तक कुल कोरोना संक्रमित मात्र 1 से 1.50 करोड़ के बीच में है। उसमें से भी 90 फीसदी बिना रेमडेसिवीर के ठीक हो चुके हैं।
अचानक पूरे भारत में पिछले कुछ दिनों से रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन को लेकर इतनी हायतोबा क्यों मची है! लोग पागलों की तरह इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए बेताब है! 800-900 रुपए की कीमत के इस इंजेक्शन को आज 10 से 15 हजार रुपए में लेने के लिए भी लोग विवश है! कैसे इसकी बाज़ार में शार्टेज हो गयी है! क्या यह अत्यंत आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में भर्ती सिर्फ व्यस्क कोरोना संक्रमित मरीज को दिया जाने वाला इंजेक्शन सभी के लिए आवश्यक हो गया है! यदि हां ये आवश्यक है तो वैक्सीन के पहले सरकार को हर अस्पताल में रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन की उपलब्धता निश्चित करना चाहिए थी!
पूरा देश इस वक्त कोरोना महामारी की दूसरी घातक कोरोना लहर से जंग लड़ रहा है! 1 साल से भी ज्यादा का समय होने के बावजूद भी अभी तक इस कोरोना संक्रमण से होने वाली घातक बीमारी का कोई इंजेक्शन या दवा पूरी दुनिया में उपलब्ध नहीं है जो 100 फीसदी सफल हो! यहां तक भारत में निर्मित दो वैक्सीन भी सिर्फ इम्युनिटी बढ़ाने का दावा करती है, इनको लगवाने के बाद कोरोना संक्रमण नहीं होगा, ऐसा कोई दावा नहीं करती है! इन वैक्सीनों को लगवाने से आप कोरोना से लड़ सकते हो, लेकिन बच नहीं सकते! इसी बीच बहुत सारी दवाएं भी कोरोना को इलाज को लेकर सुर्खियों में हैं, ऐसी ही एक दवा का नाम है अमेरिका की रेमडेसिविर (Remdesivir) जो इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है! पिछले साल 22 अक्टूबर 2020 को अमरीकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कोरोना वायरस से संक्रमित व्यस्क और बच्चों के इलाज के लिए रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी! लेकिन एक महीने बाद ही रेमडेसिविर (Remdesivir) को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बड़ा चौकाने वाला बयान दिया था। WHO ने लोगों को सावधान करते हुए कहा है कि ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा कोरोना के मरीजों पर असर कर रही है! इसलिए इस ताकतवर दवा का प्रयोग कोरोना के मरीजों पर नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस दवा के बहुत सारे साइड इफेक्ट हैं, जो कि कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ (WHO) की गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप ने कहा है कि हमें शोध करने के बाद ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे हम कह सके कि रेमडेसिविर (Remdesivir) कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए सही है या इस दवा से कोरोना के मरीजों की मृत्युदर में कोई कमी नहीं आई है। डब्ल्यूएचओ (WHO) की गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप ने ये बात 7000 अस्पतालों में हो रहे इलाज के 4 ट्रायल के बाद कही थी।
रेमडेसिविर (Remdesivir) पहली दवा है, जिसके इस्तेमाल को अमेरिका में मंजूरी मिली है, अमरीकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन एफडीए (FDA ) ने दवा को मंजूरी देते हुए अपने बयान में कहा कि बीमारी ने क्लिनिकल ट्रायल में पाया है कि इसके इस्तेमाल से बीमारी से उबरने के समय को पांच दिन तक कम किया जा सकता है! और मौत का रिस्क 30 फीसदी तक कम होता है। आपको बता दें कि रेमडेसिविर (Remdesivir) को इबोला का इलाज करने के लिए विकसित किया गया था। कोरोना महामारी आने के बाद से लगातार ये दवा चर्चा में रही है। कई डॉक्टरों ने पहले इसे ये कहते हुए खारिज किया था कि कोई खास फर्क इससे मरीज पर नहीं पड़ता है। इसके बाद एफडीए (FDA) ने आपातकाल की स्थिति में इसके इस्तेमाल की इजाजत दी थी।
पिछले साल 2020 में इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भी कहा है कि रेमडेसिवीर (Remdesivir) का अत्यधिक सावधानी के साथ उपयोग किया जाना है, क्योंकि इसके गंभीर प्रभाव पडऩे की संभावना है, जिसमें लिवर और किडनी को भारी नुकसान पहुंच सकता है। आईसीएमआर ने कहा कि इन दवाओं का इस्तेमाल करने की इजाजत सिर्फ आपातकालीन परिस्थितियों में ही दी जाती है। इस दवा को भी उन कोरोना मरीजों पर ही इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी, जिनमें ऑक्सीजन का स्तर काफी कम था। आईसीएमआर ने कहा कि इन दवाओं का इस्तेमाल करने की इजाजत सिर्फ आपातकालीन परिस्थितियों में ही दी जाती है। इन दवाओं का अंधाधुंध उपयोग या उन स्थितियों में इस्तेमाल करना, जहां जरूरत नहीं होती, लाभ पहुंचाने की बजाय अधिक नुकसान पहुंचा सकता है!
@ प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़ इंदौर
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