इंदौर के इन दो डॉक्टरों पर तत्काल रासुका की कारवाई होनी चाहिए कलेक्टर साहब !
- 40 हजार रुपए के इंजेक्शन का दिया फर्जी मेडिकल का फर्जी बिल!
- 72 हजार रुपए के अन्य बिल भी दिए फर्जी !
@ प्रदीप मिश्रा री-डिस्कवर इण्डिया न्यूज़
इंदौर। प्रायवेट अस्पताल प्रबंधन को धोखे में रखकर एक एमबीबीएस, एमडी डॉक्टर और दूसरा तथाकथित जो एमबीबीएस नहीं है? ने मिलकर कोरोना संक्रमित मरीज का फर्जी इलाज, फर्जी मेडिकल बिल के माध्यम से मरीज के परिजनों से दो लाख रुपए वसूले! एमबीबीएस और एमडी डॉक्टर वल्लभ गुप्ता, दूसरा तथाकथित डॉक्टर विजेंद्र वैष्णव ये दोनों हैं फर्जी इलाज के मास्टरमाइंड डॉक्टर।
आज के युग में किसी मरीज के लिए डॉक्टर भगवान के बाद इस धरती पर सबसे भरोसेमंद शख्स है! जिस पर मरीज और उसके परिजन आंख बंद कर विश्वास करते है! और यदि यही डॉक्टर पैसों की लालच में आपके साथ सीधे धोखाधड़ी कर आप का फर्जी ईलाज करे और आपको मौत की नीद सुला दे तो आप इसे क्या कहेंगे! पिशाच, जल्लाद, दलाल या अपराधिक धूर्त!?
ऐसी ही एक अपराधिक और इरादतन हत्या की साजिश को अंजाम दिया है इंदौर के एमबीबीएस और एमडी डॉक्टर वल्लभ गुप्ता (पता- अन्नपूर्णा डेंटल एंड मेडिकल सेंटर, नरेन्द्र तिवारी मार्ग उषा नगर एक्सटेंशन इंदौर) और तथाकथित दलाल डॉक्टर विजेंद्र वैष्णव जो मिली जानकारी के अनुसार एमबीबीएस भी नहीं है! जानिए इन्होंने एक कोरोना संक्रमित बुज़ुर्ग मरीज के साथ ईलाज के नाम पर ऐसा कमीना खेल किया है! कि पूरी मेडिकल इंडस्ट्री शर्मसार हो जाय!
66 वर्षीय सेवानिवृत सरकारी कर्मचारी राजेन्द्र निकम निवासी राजेन्द्र नगर को 17 मार्च को जांच में पता चला की वो कोरोना संक्रमित है! दुर्भाग्यवश उनके परिवार में कुछ और लोग भी शायद कोरोना संक्रमित थे। अत: पूरा परिवार घर में क्वारेंटाईन रहने के लिए मजबूर हो गया! इस दरमयान 66 वर्षीय राजेन्द्र निकम की तबियत को देखते हुए एक रिश्तेदार के माध्यम से तथाकथित डॉक्टर विजेंद्र वैष्णव से सलाह ली गयी! डॉक्टर विजेंद्र वैष्णव ने पूरे परिवार को विश्वास में लेते हुए राजेन्द्र निकम को अपनी देख-रेख में राजमोहल्ला स्थित प्रायवेट अस्पताल में भर्ती करने और सम्पूर्ण ईलाज की जिम्मेदारी ले ली! इस तरह उस तथाकथित डॉक्टर विजेंद्र वैष्णव के विश्वास में आकर दिनांक 18 मार्च को अस्पताल के आईसीयू में डॉक्टर विजेंद्र वैष्णव ने अपनी देख-रेख में भर्ती करवा दिया! चूंकि तथाकथित डॉ विजेंद्र वैष्णव प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं था, तो इसने अन्नपूर्णा डेंटल एंड मेडिकल सेंटर के एमबीबीएस, एमडी डॉक्टर वल्लभ गुप्ता को कंसल्टेंट डॉक्टर के तौर पर उनकी सेवाएं कोरोना मरीज राजेंद्र निकम के ईलाज के लिए ली! 18 मार्च से लेकर 23 मार्च तक ये दोनों डॉक्टर फर्जी तरीके से कोरोना मरीज राजेंद्र निकम का ईलाज करते रहे! और तकरीबन 2 लाख 11 हजार का बिल राजेन्द्र निकम के पुत्र से ईलाज के नाम पर ले लिए! इन दोनों डॉक्टरों द्वारा किए गए फर्जी ईलाज की पूरी कहानी बयां करते है इनके द्वारा मरीज के पुत्र को दिए गए मेडिकल बिल!
प्रायवेट अस्पताल जहां कोरोना मरीज आईसीयू में भर्ती था! उसकी 18 मार्च से 23 मार्च तक की सभी छोटी से लेकर बड़ी घंटे-घंटे, मिनटदर-मिनिट लगने दवाइयां, इंजेक्शन और अन्य जरुरी मेडिकल आवश्यकताएं राजमोहल्ला अस्पताल से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर पंचम की फेल (सेल्बी हास्पिटल के सामने) के गोपी मेडिकल स्टोर से तकरीबन 72000 रुपए की मंगवाई जाना बताई जाती है! गौरतलब है की गोपी मेडिकल स्टोर पता 5/1 पंचम की फेल को खुले मात्र 1 महीना हुआ है! उसके पास जीएसटी टेक्स का रजिस्ट्रेशन नम्बर ही नहीं है! बिल पर GST नम्बर की जगह सिर्फ अप्लाई लिखा है!?
इन सारे बिलों के केस मेमो में डॉक्टर वल्लभ गुप्ता का नाम अंकित है। वहीं गोपी मेडिकल स्टोर के संचालक का कहना है कि डॉक्टर विजेन्द्र वैष्णव हमें वाट्सअप पर दवाइयों के नाम लिखकर बिल बनाने को कहता था।
और दूसरी सबसे आश्चर्यजनक बात इन तथाकथित दोनों डॉक्टरों द्वारा 40 हजार रुपए कि कीमत का तथाकथित इंजेक्शन Sc temra Injction का बिल श्रीनाथ मेडिकोज पता शाप नं. 5 डायमंड अपार्टमेंट राजमहल कॉलोनी इंदौर मो. 8109193743, 9131241685 है। का तथाकथित फर्जी बिना किसी रजिस्ट्रेशन और जीएसटी नंबर के बिल से खरीदना बताया गया है। जब उपरोक्त मो. नंबरों पर बात हुई तो सामने वाले ने बताया कि मैंने तो अपना मेडिकल कब का ही बंद कर दिया है। इस तरह गोपी मेडिकल स्टोर पंचम की फेल और श्रीनाथ मेडिकोज के फर्जी बिल मरीज के पुत्र को देकर उससे 1 लाख 11 हजार रुपए उपरोक्त दोनों डॉक्टरों ने प्राप्त कर लिए। वहीं दूसरी तरफ प्रायवेट अस्पताल में पांच दिन भर्ती और अन्य सुविधाओं के नाम पर 90 हजार रुपए अलग से वसूल लिए। इस तरह बिना किसी इलाज के तकरीबन 2 लाख 11 हजार रुपए हड़प लिए।
जब मरीज की हालत बिगडऩे लगी तो इन्होंने राजेन्द्र निकम को स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी जहां उनकी ईलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है! जब अस्पताल प्रबंधन से इस अपराधिक कृत्य के बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने सारे इलाज से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि दोनों डॉक्टरों ने मरीज के साथ धोखाधड़ी की है, क्योंकि मरीज उन्हीं का पेंशट था और वो ही इलाज कर रहे थे। दवाइयां हम रखते नहीं है और दवाइयां और इंजेक्शन उन्हीं के द्वारा बुलवाए गए थे। हमने तो सिर्फ अस्पताल में भर्ती होने और अन्य सुविधाओं की पैसे लिए हैं।
@ प्रदीप मिश्रा री-डिस्कवर इण्डिया न्यूज़