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गुरु शिष्य का भविष्य बनाता है, लेकिन एलेन में शिष्य गुरु का भविष्य बना रहे हैं

टॉपर्स को करोड़ों में खरीदकर बना रहे हैं, कोचिंग मार्केटिंग का ब्रांड एम्बेसेडर, हो न्यायिक जांच

कोई भी छात्र यदि किसी प्रवेश परीक्षा में टॉप आता है तो एलेन उसको खरीद लेता है और बताता है कि उक्त छात्र ने एलेन के क्लासरूम में कोचिंग ली है। इसके अलावा देश के 72 सेंटरों में करोड़ों की छात्रवृत्ति का लालच देकर देश के प्रमुख सीबीएसई स्कूलों को प्रति छात्र कुछ भुगतान का लालच देकर उनसे संपूर्ण डाटा (मय माता-पिता के मोबाइल नंबर , पते, फोटो व व्यवसाय के साथ) प्राप्त कर लेता है। फिर इस व्यावसायिक टैलेंट परीक्षा का रिजल्ट आता है। एसएमएस व इंटरनेट के माध्यम से छात्र को सफल बताया जाता है।फिर उन्हें एलेन कोचिंग संस्थान में भर्ती होने के लिए स्कॉलरशिप के नाम पर आकर्षित किया जाता है। वस्तुत: एलेन द्वारा दी जाने वाली स्कॉलरशिप, एलेन में भर्ती होने व फीस जमा करने के बाद उसी पैसे में डिस्काउंट के विभिन्न स्लैब बनाकर दी जाती है।

इंदौर। एलेन कोचिंग संस्थान अपने संस्थान परिसर में जिन भारतीय संस्कार महोत्सव को बड़े भव्य व धूमधाम से मनाता है। गुरु-शिष्य परपंराओं व संस्कारों के नाम पर टीचर्स -डे का आयोजन करता है तथा छात्रों के द्वारा गुरुओं को भेजे जाने वाले संदेशों में बेस्ट संदेश भेजने वाले छात्रों को भी आर्थिक लालच देता है, वस्तुत: उसे गुरु-शिष्य की भारतीय प्राचीन सभ्यता व संस्कृति का पता ही नहीं है। सदियों से हमारे यहां परपंरा रही हैं कि शिष्य शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने गुरु को सम्मान देने के लिए गुरुदक्षिणा देता था। गुरु को भी यह अधिकार था कि वह अपने शिष्य से गुरुदक्षिणा मांग सकता था, लेकिन यहां तो पूरी तरह से गंगा ही उल्टी बह रही है। यहां खुद गुरु शिष्य को सफल होने के बाद लाखों करोड़ों रुपए की राशि देकर न सिर्फ आनंदित होकर नृत्य कर रहे हैं, वरन उसको गले लगाकर भाव-विभोर भी हो रहे हैं, लेकिन यह दक्षिणा नहीं हैं। यही यही इस आधुनिक कोचिंग गुरु की पहचान है। ये गुरु नहीं हैं? ये शिक्षक भी नहीं हैं? यह हैं शिक्षा के व्यापारी। इनका न कोई धर्म है? न कोई संस्कार? इनका सिर्फ व सिर्फ काम है पैसा कमाना। फिर चाहे साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाना पड़े या तोड़-फोड़ की। किसी छात्र को खरीदना पड़े या बेचना पड़े, क्योंकि शिक्षा इनके लिए एक अनैतिक व्यापार है। छात्र इनके लिए कस्टमर हैं व प्रतियोगी परिक्षाएं ‘प्रोडक्टÓ। अरबों खरबो कमाने के लिए आप को अनैतिक होना ही पड़ेगा, फिर चाहे वह शिक्षा का पवित्र क्षेत्र ही क्यों न हो।

मप्र का एक भी छात्र एलेन कोचिंग से आईआईटी में सिलेक्ट नहीं हुआ

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8 अक्टूम्बर 2014 को एलेन कोचिंग ने इंदौर सेंटर के उद्घाटन अवसर पर एलेन के डायेरक्टर ब्रजेश माहेश्वरी ने बताया कि हमने पिछले 10 वर्षो में मप्र से कोटा आने वाले ५० हजार छात्रों को कोचिंग दी है, इसमें से १५ से २० प्रतिशत छात्र प्रदेश में मेडिकल व इंजीनियर कॉलेज में प्रवेश ले चुके हैं। इस खुलासे में उन्होने यह नहीं बताया कि कितने बच्चे आईआईटी व एम्स में सिलेक्ट हुए हैं, क्योंकि एक भी छात्र नहीं चुना गया है टॉप 100 में। रही बात 11000 छात्रों की, तो आजकल किसी भी प्रायवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में बिना कोचिंग जाए किसी भी छात्र को एडमिशन मिल सकता है। एससी, एसटी, ओबीसी के लिए तो पहले ही आरक्षण की व्यवस्था है, उनके कट ऑफ मॉक्र्स भी कम से कम होते हैं। सिर्फ ब्रांडिंग व विज्ञापन देकर स्कॉलरशिप के लालच में फंसकर बच्चे ज्वाईन कर लेते हैं। यदि ब्रजेश माहेश्वरी को सच मान लें, तो एलेन ने मप्र में ५०,००० बच्चों से सिर्फ फीस के रूप में २५० करोड़ रुपए से ज्यादा कमा लिए हैं, क्योंकि आईआई टी व मेडिकल कोचिंग की फीस कम से कम ५० हजार रुपए और अधिकतम १.५ लाख रुपए सालाना है।

अरबों रुपए के सर्विस टैक्स की जांच हो

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एलेन संस्थान का दावा है कि २६ वर्षों में ४.५ लाख से अधिक विद्यार्थियों को कोचिंग दी है। वहीं, दूसरी ओर दावा है कि सन् २०१४ -१५ में तकरीबन 80 हजार छात्र उनके यहां कोचिंग ले रहे हैं। इस हिसाब से देखें तो पिछले 10 वर्षों में 5 लाख से ज्यादा छात्रों ने कोचिंग ली होगी। एलेन कोङ्क्षचग संस्थान 5वीं से लेकर 12वीं क्लास तक की कोचिंग के अलावा इंजीनियरिंग व मेडिकल की तकरीबन सभी राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं की कोचिंग देता है। इसके अलावा पूरे देश में टेस्ट सीरिज का आयोजन करना। छात्रवृति का लालच व सीबीएसई स्कूलों की मिलीभगत से लाखों बच्चे टेस्ट सीरिज देते हैं। यदि इस सम्पूर्ण बच्चों की फीस का औसतन 50000 रुपए से किया जाए तो यह तकरीबन २५०० करोड़ होता है। इसके अलावा डिस्टेंस लर्निंग, एलेन टेबलेट (१६५०० रु. की कीमत), ई- डिस्टेंस लर्निंग, एलेन कोर्स मटेरियल बेचना 1200 से लेकर 30000 रुपए तक लेकर टेस्ट सीरिजों का आयोजन करना। यदि ये सब मिला लिया जाए तो तकरीबन कुल टर्न ओवर 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा का होता है। पिछले दस वर्षों में अब 12.3 प्रतिशत के हिसाब से कुल टैक्स (सर्विस+ सेस + अन्य) की राशि तकरीबन ६०० करोड़ बनती है। क्या एलेन ने पिछले 10 वर्षो में सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट को इतना टैक्स दिया है, यह गहन जांच का विषय है।

एलेन कोचिंग संस्थान दे स्पष्टीकरण …

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  • -एलेन ये बताएगा कि इन्होंने एलेन को कब से कब तक ज्वाईन किया।
  • एलेन इन्हें 21 लाख व 5 लाख किस बात के दे रहा हैं? क्या ये एलेन कोचिंग की मार्केटिंग के ब्रांड एम्बेसेडर हैं?
  • अपने किसी भी इन्टरव्यू में इन्होंने एलेन में किसी भी फैकल्टी के प्रति अपना आभार प्रदर्शित नहीं किया।\
  • गोविंद लाहोटी को एलेन अपनी कोचिंग का बताता है। वहीं, इंदौर स्थित कैटेलाइजर अपनी कोचिंग का। सच्चाई बताने का साहस दोनों संस्थानों में से कौन करेगा?
  • एलेन सिर्फ अपने संस्थानों में पढ़े टॉपर्स को ही पैसा देता है, या किसी भी संस्थान के पढ़े टॉपर्स को भी पैसा देता है।
  • आईआईटी, जेईईई-२०१४ में एआईआर -26 रैंक वाले कुशल बाबेल को चेक क्यों नहीं दिया? कुशल बाबेल का फोटो रेसोनेन्स के सफल छात्रों में क्यों हैं, जबकि जेईई मेन २०१४ के एलेन विज्ञापन में एआईआर 4 दर्शाया गया है।
  • एलेन कोचिंग संस्थान ने आज तक अपने किसी भी विज्ञापन में अपने यहां पढ़ाने वाली फैकल्टियों की योग्यता के बारे में कभी कोई जानकारी नहीं दी है। इनका मुख्यत: काम दूसरे सफल कोचिंग संस्थानों की फैकल्टियों को खरीदकर अपने यहां लाने का है।

५वीं क्लास से मासूम बच्चों का बचपन छीनता है एलेन कोचिंग संस्थान !

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व्यावसायिकता की हदों को पार करता यह संस्थान पूरे देश में एलेन चैम्प नाम की टेस्ट सीरिज का आयोजन करता है। यह टेस्ट सीरिज 5वीं क्लास के बच्चों से लेकर 8वीं क्लास के अबोध नवअकुंरों की होती है, जिन्हें अभी आईआईटी, जेईई, एआईपीएमटी, एआईईईई, ओलम्पियाड जैसे शब्दों के बारे में कोई जानकारी नहीं। उनका मस्तिष्क अभी इतना परिपक्व नहीं होता है। यह उम्र उनकी खेलने, खाने, माता-पिता के लाड़-प्यार, दादा-दादी, नाना-नानी व आस -पड़ोस के बच्चों, नाते-रिश्तेदारों के स्नेह में विकसित व शिक्षित होने की होती है। किसी भी बच्चे की प्रथम पाठशाला उसकी मां होती है। पारिवारिक संस्कार किसी व्यावसायिक शिक्षण संस्थान की बपौती नहीं है। आधारभूत शिक्षा पहली से 8वीं तक देने का कर्तव्य स्कूल व परिवार का है, लेकिन यह घोर व क्रूर व्यवसायिक संस्थान उन बच्चों का बचपन व परिवार से दूर रहकर अपने संस्थान कोटा में कोचिंग में भर्ती करवाने के लिए उनके माता-पिता, स्कूल के शिक्षकों, प्रिसिंपलों को लाखों-करोड़ों रुपए के नगद पुरस्कारों का लालच देकर अपने यहां भर्ती करवाने की क्रूर चेष्टा करता है। घर से दूर माता-पिता की स्नेह भरी आंखों व भावनाओं से वंचित करने वाले इस व्यावसायिक संस्थान का एकमात्र उद्देश्य छल-कपट, लालच व फर्जी सफलता के रिजल्ट दिखाकर उनका आर्थिक, शारीरिक व मानसिक शोषण करने के अलावा कुछ नहीं हैं।

सीबीएसई स्कूल हैं इनके हुक्म के गुलाम…इनके खुद के हैं फर्जी सीबीएसई स्कूल

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नियमों के अनुसार बोर्ड से मान्यता प्राप्त प्रत्येक स्कूल के छात्र-छात्राओं को तभी परीक्षा में बैठाया जा सकता है, जब छात्र की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम नहीं हो। अर्थात 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ सकते। एलेन कोचिंग संस्थान द्वारा जयपुर, कोटा सहित राजस्थान के कई जिलों के अलावा देश भर के कई शहरों में कोचिंग संस्थाएं चलाई जाती हैं। ये कोचिंग संस्थान 9वीं, 10वीं, 11वीं व 12वीं कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को स्कूल में पढऩे के साथ-साथ कोचिंग देकर एआईईई, आईआईटी, जेईई, एआईपीएमटी, एआईआईएमएस, स्टेट पीएमटी की परीक्षाओं में सिलेक्शन कराने का लालच देते हैं। यह जानते हुए कि स्कूल में 75 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी होती है, फिर भी कई स्कूलों से मिलीभगत कर आपराधिक षडय़ंत्र रचते हुए छात्र-छात्राओं की फर्जी उपस्थिति लगवा देने की गारंटी देकर ऐसे छात्र-छात्राओं का प्रवेश एलेन कोचिंग सेंटर में किया जाता है। जयपुर में स्टेडियम के पास, चित्रकूट, वैशालीनगर में एक स्कूल का संचालन किया जाता है। उक्त स्कूल में धोखाधड़ीपूर्वक फीस के रूप में अतिरिक्त राशि लेकर फर्जी उपस्थिति की गारंटी दी जाती है। फर्जी उपस्थिति के रूप में एलेन संस्थान के कर्ताधर्ता आपस में मिलीभगत करके आपराधिक षडय़ंत्र रचते हुए छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के कूटरचित दस्तावेज तैयार करते हैं एवं ऐसे फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर संबंधित छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से धोखाधड़ीपूर्वक अधिक फीस वसूल की जाती है। इस फीस का एक हिस्सा एलेन कोचिंग के मालिकों को भी दिया जाता है। ऐसे छात्र-छात्रा पढऩे के लिए कभी स्कूल नहीं आते हैं। उक्त स्कूल के मालिक छल करते हुए अभिभावकों से अतिरिक्त राशि वसूल करते हैं। स्कूलों के परिसरों में ही एलेन कोचिंग सेंटर द्वारा कोचिंग दी जाती है। जबकि सीबीएसई के नियमों के अनुसार स्कूल परिसर में ऐसी कोई अन्य व्यावसायिक कोचिंग अथवा स्कूल इंटेग्रेटेड प्रोग्राम नहीं चल सकता है। छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों के आने पर, उनके कर्मचारियों द्वारा डमी स्कूल में भेजा जाता है, जिसके द्वारा छात्र-छात्राओं की फर्जी उपस्थिति देने के नाम पर लगभग 55000 रुपए की फीस प्रतिवर्ष प्रति छात्र से ली जाती है। कोचिंग संस्थान के निर्देशानुसार ही छात्र-छात्रा एवं उनके अभिभावक ऐसे स्कूलोंं में एडमिशन कराने के लिए मजबूर होते हैं। ऐसे सैकड़ों डमी स्कूल एलेन संस्थान के पूरे देश भर में फैले हैं। इसके अलावा ऐसे अन्य कई कोचिंग संस्थान भी हैं, जो ऐसा ही गोरखधंधा चलाते हैं।
एलेन कोचिंग संस्थान द्वारा कुछ ऐसे छात्र-छात्राओं को भी पढ़ाया जा रहा है, जो राजस्थान के बाहर के राज्यों यानी दिल्ली, पंजाब, गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र वगैरह के विद्यालयों में रहते हैं। उक्त स्कूलों में फर्जी उपस्थिति दिखाकर कूटरचित दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नियमों के अनुसार संबद्ध एक स्कूल से दूसरे स्कूल में छात्र-छात्रा के स्थानांतरण कराने की केवल दो ही कंडीशन हैं। एक तो पिता का स्थानांतरण उस शहर में हो जाए, अथवा ऐसे शहर में छात्र-छात्रा का परिवार शिफ्ट हो जाए, लेकिन एलेन कोचिंग एवं डमी स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों-कर्मचारियों से सांठगांठ रखते हैं। नियमों को ताक पर रखकर रिश्वत की राशि प्राप्त कर, पद का दुरुपयोग करते हुए, छात्र-छात्राओं का स्थानांतरण समुचित दस्तावेजों के अभाव में भी कर देते हैं। प्रत्येक स्थानांतरण के लिए धोखे से छात्र-छात्राओं से 25000 रुपए एलेन एवं अन्य डमी स्कूल लेते हैं, जिसकी कोई रसीद नहीं दी जाती है। ऐसी स्थिति में एलेन कोचिंग छात्र-छात्रा से लगभग 75000 रुपए फीस प्रतिवर्ष लेता है एवं डमी स्कूल लगभग 55000 रुपए प्रतिवर्ष लेता है। एलेन कोचिंग में लगभग 60000 बालक-बालिकाएं प्रतिवर्ष पढ़ते हैं। इस प्रकार यह घोटाला एवं अपराध लगभग अरबों रुपए प्रतिवर्ष का है। जब छात्र-छात्रा एलेन कोचिंग या डमी स्कूलों में जाते हैं, तो उन्हें प्रेक्टिकल की परीक्षाओं में 90 प्रतिशत से ज्यादा नंबर दिलाने की गारंटी भी दी जाती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसी प्रायोगिक परीक्षाएं भी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के द्वारा निर्धारित स्कूलों में नहीं होकर एलेन कोचिंग के परिसर में ही होती है। यहां एलेन कोचिंग, डमी स्कूल, सीबीएसई बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं अन्य लोगों की मिलीभगत एवं आपराधिक षडयंत्र प्रमाणित होता है। हजारों-करोड़ों की राशि अभिभावकों एवं छात्र-छात्राओं से धोखाधड़ीपूर्वक वसूल कर ली है, सभी नियमों, कानूनों एवं आदेशों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से एलेन कोचिंग चला रहे हैं। रिश्वत के दबाव में एवं मिलीभगत होने के कारण अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार करके आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध को धड़ल्ले से अंजाम दे रहे हैं। इस तरह की कोचिंग जो कोङ्क्षचग माफिया की तरह काम कर रहे हैं, इनकी तत्काल न्यायिक जांच होना चाहिए। ऐसे कोचिंग माफिया संस्थानों में भर्ती पर तत्काल रोक लगाना चाहिए। देश भर में ब्रांच खोलने की परमिशन कैसे और क्यों दे दी जाती है? ये फैकल्टी कहां से लाएंगे।

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