मध्यप्रदेश सरकार जनता से लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन कर उसका राजनीति करण करना चाहती है! शहरो के निगमों के महापौर, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के अध्यक्ष को चुनने का अधिकार जनता से छीन कर पार्षदों को देना चाहती है जो कि सरासर जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है.
जनता को ये अधिकार है की वो अपना नेता, पार्षद, महापौर, अध्यक्ष चुने. शहरों की नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों के प्रमुख कौन होगें यह जनता सुनिश्चित करेगी न की कोई राजनीतिक दल या उसके पदाधिकारी गण.?
मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के इस कदम से उनकी मंशा साफ जाहिर है कि वो जनता के अधिकारों का अतिक्रमण कर उसका राजनीति करण करना चाहती है!? यदि पार्षद को महापौर, नगरपालिका या नगर पंचायत अध्यक्ष चुनने का अधिकार दे दिया तो जिस पार्टी के पार्षदों का संख्या बल ज्यादा होगा उस पार्टी का कोई भी शिक्षित – अशिक्षित, बाहुबली, अपराधिक प्रवृत्ति, भ्रष्टाचारी, गवार, पार्टी के नेताओ का गुलाम, दलाल या कठपुतली को शहर, नगर या पंचायत का सर्वेसर्वा बना दिया जायेगा. जो सिर्फ़ अपनी पार्टी के आकाओ और पार्षद गुट विशेष के हाथो में किसी गुलाम की तरह काम करेगा! मन मानी, भ्रष्टाचार और अराजकता चरम पर होगी.
शहर और नगर की संपूर्ण व्यवस्था एक राजनीतिक दल या गुट के पैरों तले होगी.
अतः जनता को सरकार के इस फैसले को कार्यान्वित करने से रोकने के लिए तीव्र विरोध करना चाहिए. सरकार का यह प्रस्ताव घोर निन्दनीय, अलोकतांत्रिक और जनता के अधिकारों का हनन करने वाला है!?