ChitFund-Protests_PTI

मायूसी : कई राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में तनाव का माहौल, राज्यसभा सांसद रीताब्रत बनर्जी ने उठाया था मुद्दा, 18 लाख लोगों ने अपना पैसा खोया
अन्य राज्यों में इस घोटाले के शिकार हुए करीब 25 लाख से ज्यादा लोग

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पं. बंगाल। इन दिनों पश्चिम बंगाल, ओडिसा, असम आदि राज्यों के ग्रामीण इलाकों में तनाव का माहौल है। गांव के हर चेहरे पर उदासी सी छाई हुई है। घोटाले के शिकार आम किसानों- मजदूरों के अलावा शारदा चिटफंड कंपनी के एजेंटों के आत्महत्या की खबरें आ रही हैं। विगत दिनों पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। सीबीआई इससे पहले टीएमसी के दो सांसदों कुणाल घोष और शृंजॉय बोस को शारदा घोटाले में गिरफ्तार कर चुकी है।
राज्यसभा में रीताब्रत बनर्जी ने शारदा चिट फंड घोटाले का मुद्दा उठाया था। वह सीपीआई (एम) के राज्य सभा सांसद हैं। इस मुद्दे को उठाने पर तृणमूल के सांसदों डेरेक ओ ब्रायन और सुखेंदु शेखर रॉय ने उनके भाषण के दौरान काफी व्यवधान डाला। रीताब्रत बनर्जी ने अपने भाषण में कहा कि अब तक इस घोटाले की वजह से 99 लोगों ने आत्महत्या कर ली है। सिर्फ पश्चिम बंगाल में लगभग 18 लाख लोगों ने अपना पैसा खोया। अगर अन्य राज्यों में इस घोटाले के शिकार हुए लोगों को गिन लें, तो यह संख्या 25 लाख तक पहुंच जाएगी। देश के विभिन्न राज्यों में चल रही नॉनबैंकिंग एजेंसियां जनता की गाढ़ी कमाई लूटने में लगी हैं। अकेले पश्चिम बंगाल में ऐसे कई घोटाले हुए हैं। इस घोटाले में उनकी जीवन भर की कमाई लुट गई। यह घोटाला ढाई हजार करोड़ रुपए का है।
136 पोंजी स्कीम कंपनियों ने 60 हजार करोड़ रुपए की उगाही की है। सरकार के पास 200 पोंजी स्कीम कंपनियों की जानकारी है, जो पैसा इक_ा कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में अकेले एक कंपनी ने पिछले साढ़े तीन वर्ष में 15,000 करोड़ रुपए जमा किए हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इसके एक दफ्तर से एक दिन में 295 करोड़ रुपए जब्त किए थे। एक तरफ बंगाल में यह स्थिति है, दूसरी तरफ पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक राजनैतिक दल, जो सत्तारूढ़ दल का सहयोगी है, इसने ढाका में आयोजित एक रैली में आरोप लगाया कि शारदा चिट फंड घोटाले के पैसे से जमात-ए-इस्लामी के आतंकी कैंपों को मदद मिलती है। यह बहुत ही गंभीर स्थिति है। बंगाल की सरकार ने इस घोटाले से संबंधित साक्ष्यों को मिटाने की हरसंभव कोशिश कर रही है।
देखते ही देखते कंपनी बनी करोड़ों की मालिक
गौरतलब है कि लाखों लोगों की नींद छीन लेने वाली शारदा कंपनी जुलाई, 2008 में बनी थी, जो देखते ही देखते हजारों करोड़ की मालिक बन गई। इसके मालिक सुदीप्त सेन ने सियासी ताकत हासिल करने के लिए मीडिया में खूब पैसे लगाए और हर पार्टी के नेताओं से जान-पहचान बढ़ाई। कुछ ही सालों में वह अरबों में खेलने लगे। 16 अप्रैल, 2013 को इस ग्रुप के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज किया गया और आत्महत्या का पहला कांड इसके चार दिन बाद हुआ।
बेहद गरीब तबके के लोग बने घोटाले का शिकार, अधिकांश कंपनियां कागज पर
घोटाले के आरोपियों ने ट्रांजैक्शन के लिए 338 बैंक एकाउंट्स और 224 कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया। इस घोटाले में पश्चिम बंगाल समेत ओडिसा, असम, त्रिपुरा, झारखंड समेत कई राज्यों के निवेशकों को चूना लगाया गया। बेहद गरीब तबके के लोग घोटाले का शिकार बने थे। जांच में पाया गया कि 90 फीसदी से ज्यादा कंपनी सिर्फ कागज पर है। मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। यह आदेश पश्चिम बंगाल सरकार के विरोध के बावजूद आया था। पश्चिम बंगाल में हजारों ऐसे परिवार सहमे हुए हैं, जिनके घर का कोई सदस्य शारदा कंपनी का एजेंट था। अब उन पर हमले हो रहे हैं। जून के पहले हफ्ते तक शारदा कंपनी के खौफजदा 26 एजेंट खुदकुशी कर चुके थे। 20 से ज्यादा एजेंटों समेत 50 से ज्यादा लोग आत्महत्या की कोशिश कर चुके थे। एक हजार से ज्यादा एजेंट घर छोड़ कर भाग गए। एक हजार से ज्यादा एजेंटों के घर पर हमले हो चुके हैं।

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