देश कोर्पोरेट हॉस्पिटल, के अलावा राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय मेडिकल और फार्मा इंडस्ट्री माफिया की गिरफ्त में!

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर
इंदौर। भारत में लोग कोरोना से नहीं मर रहे हैं! वो इसलिए मर रहे हैं कि उन्हे बुनियादी मेडिकल सुविधाएं जैसे ऑक्सीजन, अस्पताल में बेड, दवाइयां और इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं! और इसके लिए जिम्मेदार 1 नपुंसक और 2 भ्रष्ट एवं घोर व्यवसायिक सिस्टम के रक्त पिपाशु सिस्टम के हमारे लोग हैं!
पहला सिस्टम मे सरकार मे बैठे अशिक्षित, अदूरदर्शी, अज्ञानी और अहंकारी मंत्री, विधायक और सांसद! जिसे हम हमारी सरकार कहते हैं!
दूसरा सिस्टम है प्रशासन मे बैठी अंग्रेजो के जमाने की आई ए एस लाबी जो सरकार चलाती है! जिसके लिए लोकतंत्र का मतलब है सरकार के द्वारा, सरकार के लिए और सरकार का सेवक! उसे जनता से कोई मतलब नहीं है! वो सिर्फ सरकार की आंखों से देखता है! सरकार के कानो से सुनता है!और सरकार के मुह से बोलता है! जब तक कोई बाहरी आर्थिक प्रभाव या अन्य किसी लालच का बल आरोपित न हो! उसका अपना स्वतंत्र वज़ूद और शक्तियां सिर्फ उसके निजी स्वार्थ और लालच तक ही सीमित है! और यह सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा और ज्ञान का सबसे खतरनाक म्यूटेशन है।
और तीसरा मौका परस्त, और शुध्द व्यवसायिक सोच रखने वाला प्राइवेट कार्पोरेट हॉस्पिटल सिस्टम और अंतरराष्ट्रीय फार्मा और मेडिकल इंडस्ट्री! हम ये मान भी सकते हैं और समझ भी सकते हैं कि सरकार और उनके मातहतों को कोरोना संक्रमण की भयावहता का भान न हो! जरूरी दवाइयों, इंजेक्शन और इतनी बड़ी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी इसका ज्ञान न हो! या अंतरराष्ट्रीय मेडिकल लाबी के प्रभाव और दवाब मे आई ए एस लाबी ने सरकार को सही और प्रामाणिक रिपोर्ट न दी हो!? या आत्मगर्वित मंदबुद्धि योद्धा सरकार ने जानने और समझने की जहमत न उठाई हो!?
 
लेकिन ये हो नहीं सकता है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडिकल माफिया, फार्मा इंडस्ट्री और कार्पोरेट हॉस्पिटल लाबी को पिछले 1 साल मे सदी के सबसे मुनाफे वाले दौर और बीमारी मे लगने वाली दवाइयों, इंजेक्शन और अन्य आवश्यक मेडिकल उपकरणों और आवश्यकताओं की जानकारी न हो! और इसकी तैयारी उन्होने पहले से न कर रखी हो!?*
आज भारत में कोरोंना संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड के ईलाज के लिए हम पूरी तरह से विदेशी इंजेक्शन, विदेशी दवाईयों, विदेशी मेडिकल उपकरणों और पूर्णतः विदेशी ईलाज पद्धति की गिरफ्त में है! रेम डी सिविर और टोसी इंजेक्शन, टेस्टिंग किट और अब आयातित ऑक्सीजन इसके बड़े उदाहरण है!?
और भारत का पूरा कार्पोरेट हॉस्पिटल माफिया बड़े मुनाफे के खेल में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मेडिकल और फार्मा माफिया के साथ ईलाज के नाम पर अनाप शनाप मुनाफे के खेल को अंजाम दे रहे हैं!? उन्हे पता है कि यदि दवाइयों और इंजेक्शन बहुतायत में उपलब्ध करवा देंगे तो मुनाफा कम हो जाएगा! रही बात अनुभवी और प्रशिक्षित डॉक्टरो की कमी की तो ये बात फालतू है क्योंकि सारे बड़े डॉक्टर या तो कोर्पोरेट हॉस्पिटल में है या फिर विदेश मे अंतरराष्ट्रीय मेडिकल माफिया की गोद में! देश का सिर्फ भगवान मालिक है!
@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर

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