कलेक्टर गोयल ने न्यायालयीन प्रकरणों की समीक्षा के दौरान कहा
ग्वालियर। न्यायालयीन प्रकरणों में विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण अगर कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ा, तो उसका सम्पूर्ण हर्जा-खर्चा की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी, जो उसको अपने वेतन से देनी होगी। यह बात कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने विभागीय समन्वय समिति की बैठक में न्यायालयीन प्रकरणों की समीक्षा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि लोअर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न विभागों के प्रकरणों में जिला कलेक्टर को शासन के प्रतिनिधि की हैसियत से पार्टी बनाया जाता है। ऐसे प्रकरणों में समय पर जवाब प्रस्तुत करना और माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय और निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने का दायित्व संबंधित विभाग के अधिकारियों का होता है। लेकिन विभागीय अधिकारी लापरवाही व अन्य कारणों से अनेक बार समय पर जवाब व कार्रवाई करने में शिथिलता बरतते हैं, जो शासकीय कर्तव्यों के निर्वहन में गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है। डॉ. गोयल ने कहा कि ग्वालियर जिले में न्यायालयीन प्रकरणों की समीक्षा के लिए एनआईसी के माध्यम से विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इसलिए सभी अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसी भी परिस्थिति में उनसे चूक न होने पाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर किसी प्रकरण में विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण न्यायालय की अवमानना का प्रकरण दर्ज होता है, जिसमें कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए न्यायालय द्वारा निर्देशित किया जाता है तो संबंधित अधिकारी से हर्जा-खर्चा की राशि वसूली भी उसके वेतन से की जाएगी।