आज तक ऐसी कार्रवाई किसी दुर्दान्त अपराधी जो आतंकवादी, ड्रग्स, अंडरवल्र्ड, राष्ट्रद्रोह जैसे भयानक अपराधों में शामिल है उन पर नहीं हुई
बंद करो ऐसे अखबार, प्रेस क्लबों व पत्रकारिता को जिसमें सच को दिखाने व अन्याय के विरुद्ध लडऩे का नैतिक साहस व ज्ञान न हो!
ऐसे कौन से कानून व अपराध है व सरकार की वैधानिक ताकत है जो मात्र 72 घंटे में किसी मीडिया संस्थान के प्रधान संपादक के घर और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को जमीनदोंज कर दें!
री-डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर। इंदौर शहर से प्रकाशित होने वाले सांध्य दैनिक सांझा लोकस्वामी अखबार जो अपने सबूतों व तथ्यों के साथ खोजी निडर व बेबाक पत्रकारिता के लिए न सिर्फ शहर वरन प्रदेश में विशिष्ठ स्थान व नाम रखता है के प्रधान संपादक जीतू सोनी द्वारा नेताओं, अफसरों, भ्रष्ट लोगों, गुंडों व अपराधिक तत्वों के खिलाफ मय सबूतों के खबरें प्रकाशित करने का साहस व माद्दा ऐसा था कि जो कोई भी राष्ट्रीय अखबार व चैनल प्रकाशित व प्रसारित करने की सोच व साहस नहीं रखता था, सिर्फ यही अपराध पूरे जीवन को बरबाद करने के लिए काफी हो गया।
इंदौर से प्रकाशित होने वाले सभी राष्ट्रीय अखबारों व सांध्य दैनिक अखबारों, न्यूज चैनलों को गीताभवन स्थित माय होम होटल में आधीरात के बाद तक चलने वाले डांसबार, लड़कियों का होटल में रुकना आदि के बारे में सबकुछ पता था। कई नामचीन पत्रकार, प्रेस क्लब के पूर्व व वर्तमान पदाधिकारियों का वहां आना-जाना था। शाम को बैठकर गले तर करते हुए शहर के कई संभ्रांत नागरिकों ने वहां उन्हें देखा है। यहां तक जीतू सोनी का पुत्र अमित सोनी प्रेस क्लब का पूर्व व वर्तमान पदाधिकारी भी है, लेकिन आज तक किसी भी अखबार ने माय होम होटल में चलने वाले बार व डांसबार के बारे में कोई खबर अपने अखबारों में प्रकाशित नहीं की और न ही जीतू सोनी के घर एवं अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों एवं होटलों के अवैध निर्माण के बारे में कोई भी खबर प्रकाशित की। इंदौर से प्रकाशित होने वाले कई अखबारों एवं इंदौर प्रेस काम्प्लेक्स में लीज की जमीन पर कई बंद पड़े समाचार पत्रों के प्रकाशक अवैध निर्माण व लीज की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके अलावा इंदौर व भोपाल के कई सांध्य दैनिक व सुबह के अखबार के मालिक जमीनों की खरीद-फरोख्त,अड़ीबाजी व अन्य कई तरह के अपराधों में लिप्त हैं। क्या सरकार की इस मुहीम में उन पर भी गाज गिरेगी?
पिछले 30 सालों से जीतू सोनी द्वारा किए जा रहे अवैध काम, अड़ीबाजी और दबंगाई के कारनामे की जानकारी प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर कांस्टेबल तक को पता थी, तो पिछले 30 सालों से उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पत्रकारिता की आड़ में जीतू सोनी के अवैध निर्माणों, कार्यों पर कार्रवाई कर सरकार एवं इंदौर प्रशासन ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी लगे हाथ भयाक्रांत कर दिया है यदि सरकार व उसके सिपाहसलारों व संगीसाथियों के अवैधानिक कृत्यों व कार्यों की खबरें प्रकाशित करने का सहास किया तो सरकार क्या हाल करती है ये जान लो। ये सरकार की चेतावनी है लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के तथाकथित नामधारी मीडिया संस्थानों को।
प्रधान संपादक जीतू सोनी के द्वारा नेताओं, अधिकारियों द्वारा वैश्याओं से संबंध, अय्याशी व सरकारी ठेकों और संपत्तियों को गैर कानूनी तरीके से देने की खबरें प्रकाशित व प्रसारित करने के बाद तो सरकार जिला प्रशासन व पुलिस सांझा लोकस्वामी अखबार व उसके प्रधान संपादक जीतू सोनी पर तो ऐसे टूट पड़े जैसे की कोई दुर्दांत आतंकवादी या अंडरवल्र्ड का माफिया या राष्ट्रद्रोही अपराध का संगठित माफिया चलाने वाला कोई भयानक अपराधी पकड़ लिया गया हो। मात्र 72 घंटे के अंदर उसके घर, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, होटल आदि पर जो पिछले 20-25 सालों से निर्बाध रूप से जिला प्रशासन और इंदौर की जनता के सामने संचालित हो रहे है को जेसीबी और बुलडोजरों के माध्यम से भारी भरकम पुलिस व प्रशासन के दल-बल के साथ नेस्तानाबूद कर के रख दिया। इंदौर क्या पूरे देश के इतिहास में ऐसी कार्रवाई शायद ही किसी मीडिया हाउस व उसके प्रधान संपादक के साथ हुई हो। मीडिया हाउस या प्रधान संपादक तो दूर की बात आज तक ऐसी कार्रवाई किसी दुर्दान्त अपराधी जो आतंकवादी, ड्रग्स, अंडरवल्र्ड, राष्ट्रद्रोह जैसे भयानक अपराधों में शामिल है उन पर भी नहीं हुई।
पिछले 30 सालों से जीतू सोनी के माय होम होटल में बार व डांसबार संचालित हो रहा है। पिछले कुछ साल पहले भी उपरोक्त होटल के डांसबार में छापा पड़ चुका है। उसके बाद भी प्रशासन ने वापस कैसे डांसबार को संचालित होने दिया यदि वह अवैध था, तब ही क्यों नहीं बंद करा दिया गया, तब इतनी कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की? पिछले 30 सालों से संचालित इस डांसबार की कोई शिकायत आज तक न तो पुलिस में और न ही जिला प्रशासन को हुई है। रही बात अवैध निर्माण की तो पूरे शहर में सैकड़ों ऐसे निर्माण है जो कि कानून की नजर में अवैध है तो क्या पूरे शहर को नेस्तानाबूद कर दिया जाएगा। वो भी मात्र 24 घंटे के नोटिस पर।
कनाडिय़ा रोड स्थित प्रधान संपादक जीतू सोनी का घर जो पहले इंदौर में ही एक भ्रष्ट इंजीनियर के नाम था, तब क्या वह अवैध नहीं था!? सच्ची और निर्भीक पत्रकारिता के डर से उस घर को भी 24 घंटे के नोटिस पर नेस्तानाबूद कर दिया गया।
ऐसे कौन से कानून व अपराध है जिसमें सरकार को यह अधिकार व पावर है कि वह मात्र 72 घंटे में किसी प्रधान संपादक का घर, आफिस व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को जमींदोज कर दें। यदि सच व नग्न सत्य दिखाने व प्रकाशित करने को इतनी बड़ी सजा है तो वो दिन दूर नहीं जब किसी भी अखबार मालिक मीडिया संस्थान तथा पत्रकार को सरकार व ताकतवर लोग हमेशा के लिए नेस्तानाबूद व जमींदोज करने में जरा भी हिचकेंगे।
जो मीडिया संस्थान, पत्रकार व संपादक अपने ही साथियों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष नहीं कर सकते है तो उसे कोई अधिकार नहीं है अखबार निकालने व पत्रकारिता करने का। बंद करो ऐसे अखबार, प्रेस क्लबों व पत्रकारिता को जिसमें सच दिखाने व अन्याय के विरुद्ध लडऩे का साहस व ज्ञान न हो! जो पत्रकार संपादक व अखबार खुद को न्याय नहीं दिलवा सकता वो जनता के हितों की क्या रक्षा करेगा।