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बिलासपुर। एनेस्थिसिया (बेहोशी का इंजेक्शन) लगाने के बाद घायल की स्थिति बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने डॉक्टर बी. लालचंदानी को मृतक के परिजन को 8 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। 19 मार्च 2008 को गिरने के कारण विजय अग्रवाल के पैर की हड्डी टूट गई थी। चाम्पा में प्रारंभिक उपचार के बाद डॉक्टर ने उसे प्लास्टर चढ़ाकर बिलासपुर भेज दिया। उसे उसी दिन दयालबंद स्थित डॉ. बी. लालचंदानी के लालचंदानी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन करने की बात कही। अगले दिन ब्लड प्रेशर, शुगर सहित सभी जरूरी जांचें की गईं और उसे ऑपरेशन थियेटर में ले गए। तब तक घायल की स्थिति सामान्य थी। अंदर बेहोशी का इंजेक्शन लगाने के बाद उसकी हालत बिगड़ी तो डॉ. लालचंदानी ने ऑपरेशन स्थगित कर उसे अपोलो हास्पिटल रैफर कर दिया। अपोलो हास्पिटल में 23 मार्च 2008 को उसकी मौत हो गई।
दिल का दौरा पड़ा गया था
मृतक की पत्नी रुक्मिणी अग्रवाल ने जिला उपभोक्ता फोरम में 19 लाख रुपए क्षतिपूर्ति राशि दिलाने का दावा किया था। परिवाद में डॉ. लालचंदानी और एनेस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ. आरपी मिश्रा को पक्षकार बनाया गया। न्यायालय ने डॉ. लालचंदानी से जवाब मांगा, जिसमें कहा गया कि घायल को एनेस्थिसिया देने पर दिल का दौरा पड़ा और स्थिति खराब हो गई। बेहतर उपचार के लिए उसे अपोलो हास्पिटल भेजा गया था। घायल के परिवार वालों को एनेस्थिसिया के दुष्प्रभाव की जानकारी भी दे दी गई थी। सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि चिकित्सक खुद को हड्डी रोग विशेषज्ञ बताता है, किन्तु उसने जनरल प्रैक्टिशनर के समान भी सेवा प्रदान नहीं की और उपचार में लापरवाही के कारण घायल की जान चली गई। कोर्ट ने नि:शुल्क उपचार के तर्क को भी खारिज कर दिया। फोरम के अध्यक्ष अशोक कुमार पाठक एवं सदस्य प्रमोद वर्मा ने डॉ. लालचंदानी को चिकित्सकीय व्यय 1 लाख रुपए एक माह के अंदर अदा करने का आदेश दिया। इसके अलावा 7 लाख रुपए क्षतिपूर्ति व 5 हजार रुपए वाद व्यय देने का आदेश दिया है।
दूसरे डॉक्टर का नाम बताया
ऑपरेशन थियेटर में डॉ. मित्रा ने घायल की कमर में एनेस्थिसिया का इंजेक्शन लगाया था, किन्तु फोरम को डॉ. आरपी मिश्रा का नाम बताया गया। न्यायालय के नोटिस पर उन्होंने बताया कि मैंने लालचंदानी अस्पताल में सेवा दी ही नहीं।

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