जिस शहर की जनता अपने शहर व नागरिकों के हक और अधिकारों की लड़ाई लडऩे वालों का साथ नहीं देती है
वो शहर अनाथ और वहां के नागरिक मुर्दा होते हैं!
इंदौर, (री-डिस्कवर इंडिया न्यूज)। शहर की पांच प्रमुख समस्याएं बिगड़ा पर्यावरण, जमीन के नीचे गिरता भूजल, अस्त-व्यस्त यातायात, विकास के नाम पर हो रही अनाधूंध तोडफ़ोड़ और प्रशासन की तानाशाही को लेकर ये शख्स हर मोर्चे पर अकेला लड़ रहा है! जनहित और पर्यावरण के मुद्दों पर लडऩे वाले किशोर कोडवानी का साथ न देकर कहीं हम मतलबी, खुदगर्ज और अहसान फरामोश इंदौर के नागरिक तो नहीं हों रहे हैं!
पिछले तीन दशकों के इस शहर के भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीति और पर्यावरण पर नजर डाले तो आपको विकास के नाम पर शोषण, भ्रष्टाचार, घोर व्यवसायिक सोच वाले व्यापारियों, उद्योगपतियों, निवेशकों के साथ अपराधियों और बाहुबलियों के बल पर राजनीतिक वर्चस्व और मुकाम हासिल करने वाले और व्यवसायी जनप्रतिनिधि या व्यवसायियों के नेता से मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधि बने राजनेताओं ने अपने शिकारी जाल मे जकड़कर मालवा के इस खूबसूरत भौगोलिक, स्वस्थ आबोहवा और बेहतरीन मौसम के शहर इंदौर का गला घोंट दिया है!?
गरीबों और मजदूरों के हितों की बात करते-करते न जाने कब शहर की पहचान और अर्थव्यवस्था की रीढ़ एक-दो नहीं पूरी 7 मिले और कल कारखाने बंद हो गए!? विकास और लोगों को घर देने के नाम पर खेतों और जंगलो को कांक्रीट का जंगल बना दिया! रोजगार के नाम पर युवाओं को अपराध की दुनियां से होते हुए राजनीति के माध्यम से अरबों-खरबों के मालिक बनने के जीते जागते उन्हीं के बीच के लोगों के उदाहरण खड़े कर दिए! अधिकारियों से सरकार बनकर या सरकारी ताकत दिखाकर गैरकानूनी काम करवाकर अपने और अपने दोस्तों को करोड़ों-अरबों के काम करवा दिए! और उन्हें भी भ्रष्ट कर शहर के साथ विकास के नाम पर भ्रष्टाचार और भ्रष्ट व्यवसायियों के साथ मिलकर खेल खेलने दिए!
कल कल बहती नदी को नाले में बदल दिया और पीछे मुड़कर नहीं देखा! तालाब को पूरा कर उसके साथ ना इंसाफी कर उसी के ऊपर न्याय का मंदिर बना रहे हैं! खूदगर्ज, मौका परस्त और एहसान फरामोश राजनीतिक माहौल के इस शहर में कुछ गिने-चुने लोग हैं, जिनकी आत्मा गैर व्यवसायिक और नि:स्वार्थ है! उनका जमीर अभी जिंदा है! उनकी आत्मा और शरीर में वो नैतिक साहस और माद्दा है कि वो अपने शहर के हक और अधिकार के लिए इस भ्रष्ट, धृष्ट और कृतघन्य लोगों की बनायी व्यवस्था से लड़ सकते हैं। ऐसा ही एक जिन्दा व्यक्तित्व है किशोर कोडवानी जो शहर से जुड़े जनहित और पर्यावरण के मुद्दों की लड़ाई पूरजोर तरीके से लड़ते हैं। फिर चाहे नदी से नाला बनी कान्ह नदी को पुनर्जीवित करने का हो या पिपल्याहाना तालाब को विकास के नाम पर खत्म किया जाना हो।