मंत्री गोपाल भार्गव की मां के इलाज में लापरवाही
भोपाल। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव की मां सुशीला भार्गव के इलाज में लापरवाही करने के एक मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने अहम फैसला सुनाते हुए इंदौर के सीएचएल अपोलो अस्पताल पर 2 लाख रुपए का जुर्माना किया है। आयोग ने अस्पताल प्रबंधन को सुशीला भार्गव की मौत के लिए जिम्मेदार मानते हुए इलाज खर्च हुए 1.57 लाख रुपए तथा जुर्माना राशि ब्याज सहित चार सप्ताह में शिकायतकर्ता को देने के निर्देश दिए हैं। 12 साल पहले गोपाल भार्गव ने आरोप लगाया था कि उनकी माताजी को इलाज के लिए सीएचएल अपोलो में भर्ती करवाया था, लेकिन इलाज पूरा होने से पहले ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी और इंदौर से सागर ले जाते समय रास्ते में उनकी मौत हो गई थी। भार्गव व उनके परिजन ने यह मामला राज्य उपभोक्ता आयोग में दायर किया था। इस दौरान यह बात सामने आई थी कि मरीज की मौत नसों के फटने से हुई, क्योंकि उनके शरीर के कई हिस्सों से रक्तस्रााव होने लगा था। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने अपने जवाब में मरीज को शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या होने के कारण एनजियोप्लास्टी करने की बात की थी, लेकिन आयोग ने इस दलील को अस्वीकार कर फैसला अस्पताल के खिलाफ दिया।
क्या है मामला
मार्च 2002 में गोपाल भार्गव के छोटे भाई श्रीराम भार्गव का सीएचएल अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। उसी दौरान उनकी माताजी की तबियत कुछ खराब हुई। डॉ. विनोद सोमानी ने उन्हें भी इसी अस्पताल में एंजियोग्राफी करने के लिए भर्ती कर लिया। डॉ. सोमानी ने बिना किसी सहमति के उन्हें डॉ. ए चौधरी के पास रेफर कर दिया था। डॉ. चौधरी ने बगैर प्रक्रियात्मक तरीका अपना मरीज की एंजियोप्लास्टी कर दी जिसके चलते कुछ कॉम्पलिकेशन हो गए और चार दिन बाद ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई व इंदौर से सागर जाते रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई थी।
न्याय पाने में 12 साल लग गए
जब मुझ जैसे व्यक्ति को न्याय पाने में 12 साल लग गए तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा। मेरी मां के इलाज में लापरवाही की गई थी, इसलिए मामला दायर किया गया था।
-गोपाल भार्गव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री