नई दिल्ली। आयकर विभाग ने हाल ही में नया रिटर्न फॉर्म (आईटीआर) नोटिफाई किया है। रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 अगस्त भी तय कर दी गई है। ऐसे में आयकर रिटर्न भरने से पहले कुछ चीजें समझने की जरूरत है। आईटीआर भरते वक्त अपनी सही वित्तीय जानकारी दें। क्योंकि ये तमाम जानकारी व आपके वित्तीय लेन-देन का ब्योरा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंच जाएगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि आपके सभी बड़े वित्तीय लेन-देन पर विभाग की नजर रहती है और आपकी ओर से किए गए निवेश, बचत, खरीददारी-सभी की बाकायदा रिपोर्ट भी बनाकर इनकम टैक्स अथॉरिटीज को भेजी जाती है। ऐसा एनुअल इन्फॉर्मशन रिटर्न (एआईआर) के जरिए किया जाता है।
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 285बीए के तहत कुछ चुनिंदा व्यक्तियों/संस्थाओं को किसी कारोबारी साल के दौरान हुए कुछ चुनिंदा वित्तीय लेन-देन के बारे में एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) भरना होता है। एआईआर भरने की जिम्मेदारी उन संस्थाओं की होती है, जिनके जरिए वित्तीय लेन-देन किए जाते हैं। एआईआर दाखिल करने वाली संस्था की जिम्मेदारी यह भी होती है कि वह वित्तीय लेनदेन करने वाले व्यक्ति के पैन नंबर का उल्लेख करे, साथ ही उस व्यक्ति का पिन कोड सहित पूरा पता भी बताए।
तीस लाख से अधिक की संपत्ति की खरीद या बिक्री
अगर कोई व्यक्ति तीस लाख रुपए या इससे अधिक कीमत की अचल संपत्ति खरीदता या बेचता है, तो रजिस्ट्रार/ सब-रजिस्ट्रार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह इसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को दे।
आरबीआई के बॉन्ड में पांच लाख से अधिक का निवेश
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी किए गए बॉन्ड में कोई व्यक्ति अगर किसी एक साल के दौरान पांच लाख रुपए या इससे अधिक का निवेश करता है, तो आरबीआई की तरफ से इस काम के लिए नियुक्त व्यक्ति को यह सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को देनी होती है। जब किसी एक साल के दौरान किसी व्यक्ति के बचत खाते में 10 लाख रुपए या इससे अधिक जमा होता है, तो उस बैंक की जिम्मेदारी होती है कि वह इसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को दे।
दो लाख से अधिक का बिल
किसी व्यक्ति को जारी किए गए क्रेडिट कार्ड के बिल के तौर पर किसी साल के दौरान दो लाख रुपए से अधिक की अदायगी किए जाने की स्थिति में उस बैंक या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी की जिम्मेदारी होती है कि वह इसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को दे। किसी म्युचुअल फंड योजना की यूनिटें खरीदने के लिए कोई व्यक्ति दो लाख रुपए या इससे अधिक लगाए, तो उस म्युचुअल फंड के ट्रस्टी या ट्रस्टी की ओर से उस म्युचुअल फंड के कामकाज का प्रबंधन करने वाले व्यक्ति को यह सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को देनी होती है।
किन लेन-देन पर रहती है नजर
यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी या संस्था की ओर से जारी किए गए बॉन्ड या डिबेंचर में 5 लाख रुपए या इससे अधिक का निवेश करता है, तो उसकी सूचना इनकम टैक्स अथॉरिटीज को देने की जिम्मेदारी बॉन्ड या डिबेंचर जारी करने वाली संस्था की होती है। अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी के एक लाख रुपए या इससे अधिक राशि के शेयर पब्लिक इश्यू या राइट्स इश्यू के जरिए खरीदता है, तो शेयर जारी करने वाली कंपनी का उत्तरदायित्व होता है कि वह अथॉरिटीज को इसकी जानकारी दे।
टैक्स चोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी
इनकम टैक्स विभाग ने टैक्स चोरी करने वालों को कड़ा संदेश देते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई है। विभाग यह भी पक्का करेगा कि ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो। हाल में इनकम टैक्स विभाग के उच्च अधिकारियो की हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस में ऐसे लोगों के खिलाफ जोरदार तरीके से कार्रवाई का फैसला किया गया। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने इस बारे में स्ट्रैटेजी पेपर भी जारी किया। इसमें कहा गया है कि टैक्स अधिकारियों को ऐसे लोगों में सजा, आजादी खत्म होने और सामाजिक बदनामी का भय पैदा करना चाहिए। इसके मुताबिक, ऐसे टैक्स चोरों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए, जिससे काले धन पर अंकुश लगाया जा सके। आंकड़ों के मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान 1,000 से ज्यादा छापेमारी और सर्वे की कार्रवाई की और जान-बूझकर टैक्स चोरी करने वाले लोगों के खिलाफ करीब 100 से अधिक अभियोजन की शिकायतें दर्ज कराईं। इनकम टैक्स के एक अधिकारी ने बताया, ‘इरादतन टैक्स चोरी करने वाले करदाता कई तरह के होते हैं। इनमें से कुछ हर साल अपनी आमदनी कम कर दिखाते हैं, वहीं कुछ टैक्स डिमांड का नोटिस मिलने के बाद भूमिगत हो जाते हैं या पता बदल लेते हैं और कुछ आक्रामक तरीके से अपने खातों में गड़बड़ी करते हैं, जिससे अपनी आमदनी का जरिया छिपा सकें।Ó
सीबीडीटी की अनीता कपूर का कहना है कि सरकार की काले धन पर अंकुश लगाने की पहल के तहत टैक्स डिपार्टमेंट ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अब वह सिर्फ ऐसे लोगों से बकाया टैक्स या जुर्माना वसूलने के बजाय उन्हें अदालत में घसीटने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कपूर के मुताबिक, ‘हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि हमारा सिस्टम घुसपैठ या दखलंदाजी करने वाला नहीं हो। हालांकि, कुछ लोगों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई जरूरी हो जाती है। दरअसल, हर कोई टैक्स से जुड़े नियमों का पालन करने को इच्छुक नहीं होता। इनकम टैक्स के तहत हमारे पास छापेमारी और संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार है। हम टैक्स चोरी करने वालों से सिर्फ पेनाल्टी या बकाया रकम नहीं वसूलना चाहते।Ó
सीबीडीटी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के लिए पॉलिसी बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। सीबीडीटी की बॉस का कहना था कि चिंता इस बात की है कि टैक्स चोरी करने वाला हल्की सजा से छूट जाता है और ऐसे में सही-सही टैक्स का भुगतान करने वाला यह सोचेगा कि जब बाकी लोग टैक्स से बचने में सफल हैं, तो उन्हें क्यों टैक्स देना चाहिए? उनका कहना था कि टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ ‘कार्रवाई का प्रदर्शनÓ जरूरी है। कपूर का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब सरकार ने सीबीडीटी से हर महीने 25 लाख नए एसेसी को टैक्स के दायरे में लाने को कहा है। फिलहाल, देश में 4 करोड़ से भी ज्यादा टैक्सपेयर्स हैं।