राजनेतिक पार्टीयो द्वारा फिल्मी हीरो हीरोइन व खिलाड़ियों को चुनावी टिकिट देने का मतलब सामाजिक कार्यकर्ताओ व पार्टी के बुद्धि जीवी कार्यकर्ताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या करने के सामान है!
सदियो से गुलाम और सनातनी आरक्षित इस देश में जहां शिक्षा का मतलब मात्र दो तीन दशक पहले समझ आया हो वो भी मात्र 20 से 30 प्रतिशत आबादी के लिए!? जहां राम और कृष्ण ही सदियो से लेकर आज तक इस देश के जन नायक और रावण और कंस ही सबसे बड़े राक्षस हो! जो जनता फिल्मो, नाट्य मंचों, रामलीलाओ मे अपना नायक खोजती हो और इन ख़यालों में रहती है कि वहीं उसके सारे दुखों का निवारण करेगा और यदि नहीं करेगा तो उसकी एक्टिंग और नौटंकी मे अपने नायक को तो देख ही लेंगे कम से कम कुछ देर के लिए ही सही सभी दुखों से निजात मिलने के जीवन जीने का सुखद एहसास तो हो जाएगा.!? पिछले दशकों में तो इस देश की जनता ने लोकप्रिय डाकुओं और स्मगलरो तक को चुनावों मे जितवा कर संसद तक पहुंचाया है!
जनता की इसी मानसिकता को ध्यान मे रखकर फिल्मी दुनिया के लोगो ने सिनेमा रचा और मनोरंजन के नाम पर अथाह पैसा कमाया! वही दूसरी तरफ सामंतवाद और राजतंत्र के लोगो और राजनीतिक खिलाड़ियों ने जनता के लोक प्रिय जन नायको को सत्ता हासिल करने के लिए चुनावो में जनता के सामने खड़ा कर सत्ता के लिये आवश्यक चुनावी अंक पा लिए!
इन फिल्मी जन नायको का उपयोग सिर्फ इनकी लोकप्रियता भुनाने के लिए किया जाता है!? आज तक भारत में अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना,, सुनील दत्त, धर्मेद्र, विनोद खन्ना, गोविंदा, सनी देओल, जया प्रदा, हेमा मालिनी, रेखा, शबाना आज़मी, जया प्रदा, किरण खेर, राज बब्बर, शत्रुघ्न सिन्हा,पूनम सिन्हा, परेश रावल, महेश मांजरेकर, उर्मिला मातोंडकर, गुल पनाग, मून मून सेन, के अलावा टेलिविजन इंडस्ट्री से स्मृति ईरानी, अरविंद त्रिवेदी(रामायण सीरियल का रावण), नीतीश भारद्वाज (महा भारत सीरियल के कृष्ण), दीपिका चीख लिया (रामायण सीरियल मे सीता) के अलावा क्षेत्रीय और भोज पुरी फिल्मों के मनोज तिवारी, रवि किशन, निहारउआ जैसे बड़े कलाकार सिर्फ राजनीतिक पार्टियों को सत्ता हासिल करने के लिए आवश्यक अंक गणित के सबसे मजबूत और शर्तिया सीटो के अंक है.
दक्षिण भारत की राजनीति की तो आप बिना साउथ के हीरो हीरोइन के कल्पना भी नहीं कर सकते हो एन टी रामा राव, करुणा निधि, जय ललिता, चिरंजीवी, कमला हसन जैसे मशहूर सितारे तो स्वय की राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष हैं पूरी की पूरी सरकार!?
आज कल पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी वहां की बांग्ला फिल्मों का पूरा दखल है!
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल मे भोजपुरी फिल्मों के नायक – नायिकाओं व नाचने गाने वालों का न सिर्फ वहा कि राजनीति वरन वोटरो पर भी पूरा प्रभाव है!
आज कल दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र की राजनीति भी फिल्मी और खेल की दुनिया से प्रभावित है! रही बात जनता में चुनावी प्रचार के लिए तो पूरे देश में फ़िल्मी और खेल जगत के चेहरों की मांग सबसे ज्यादा रहती है !?
आज कल जबसे देश के कई प्रतिभावान खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलो मे देश का नाम ऊंचा किया है और कर रहे हैं जिसकी वजह से देश मे जनता के बीच खिलाड़ियों की लोकप्रियता बढ़ी हैं तब से उनकी लोकप्रियता को या तो बॉलीवुड या फिर राजनीतिक दलों की नजर अब उनकी लोकप्रियता को सत्ता पाने के लिए भुनाने मे लगा है! बॉलीवुड ने तो उन पर फिल्मे बनाकर बॉक्स ऑफिस पर अथाह धन कूटा है! दंगल, लगान, गोल्ड, सुल्तान, चक दे इंडिया, भाग मिल्खा भाग, एम, एस धोनी, मैरी कॉम, अजहर जैसी स्पोर्ट्स और खिलाड़ियों पर आधारित फिल्मों ने बॉलीवुड को माला कर दिया!
नवजोत सिद्धू, मोहम्मद अजरुदिन, किर्ति आज़ाद, राज्यवर्धन सिंह राठौर, चेतन चौहान, गौतम गंभीर, योगेश्वर दत्त, बबीता फोगट, हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह भी भाजपा की तरफ़ से चुनावी अखाड़े में उतर चुके हैं!