माइलेज का गलत दावा
कार कंपनियां जिस माइलेज का दावा करती हैं, जरूरी नहीं कि वह सही हो। दक्षिण अफ्रीका की हुंडई मोटर्स और उसकी सहयोगी किया मोटर्स ने अमेरिका में ऐसी ही एक गलती की। कंपनियों ने 27 मील प्रति गैलन माइलेज का दावा किया था। हकीकत में यह एक से दो मील तक कम निकला। अब कंपनियों पर 455 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। मामला 2011 से 2013 का है। हुंडई ने इस दौरान नौ लाख और किया ने तीन लाख गाडिय़ां बेचीं। साल 2008 से 2010 तक चली आर्थिक सुस्ती के बाद लोगों ने किफायती और सस्ती कारों की ओर रुख किया, बाजार पर कब्जा जमाने के लिए कंपनियां ज्यादा माइलेज के दावे कर रही थीं। दोनों कंपनियों को इसका फायदा भी मिला, लेकिन दावा गलत निकला। कंपनियां इसके लिए 10 करोड़ डॉलर (61 करोड़ रुपए) का जुर्माना भरने पर राजी हो गई हैं। अमेरिकी प्रशासन और हुंडई-किया के बीच सहमति बनी है। इसके मुताबिक कंपनियां भविष्य में ऐसे किसी नियम का उल्लंघन रोकने के लिए पांच करोड़ डॉलर (30.5 करोड़ रुपए) खर्च करेंगी। इनका 20 करोड़ डॉलर (122 करोड़ रुपए) का एमिशन क्रेडिट भी जब्त होगा। यह क्रेडिट कंपनी के दावे और उसके वास्तविक माइलेज के आधार पर तय होता है। कंपनियों का दावा गलत पाए जाने पर कुछ कार खरीदारों ने इन पर मुकदमा कर दिया था। तब दिसंबर, 2013 में कंपनियां उन्हें 39.5 करोड़ डॉलर (241 करोड़ रुपए) देने पर राजी हुई थीं। इसमें हुंडई का हिस्सा 21 करोड़ डॉलर का था। इस तरह कंपनियों को लगभग 455 करोड़ रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। अमेरिका में हुंडई के प्रमुख डेविड जुकोवस्की का कहना है कि डाटा प्रोसेसिंग में गलती के कारण माइलेज के दावे में भूल हुई।
मारुति पर भी लगा था जुर्माना
दिल्ली निवासी राजीव शर्मा ने विज्ञापन में माइलेज देख मारुति जेन एलएक्स खरीदी। विज्ञापन में 16.7 किमी प्रति लीटर माइलेज का दावा था। लेकिन उनकी कार ने महज 10.2 किमी का माइलेज दिया। उपभोक्ता अदालत ने अगस्त, 2012 में मारुति पर एक लाख रुपए जुर्माने का फैसला दिया।