लूट का बाजार : सेक्स की दवाइयों के नाम पर करोड़ों की ठगी के विज्ञापनों की भरमार
नई दिल्ली। भारत में अमूमन सभी हिन्दी समाचार-पत्र चाहे वह सुबह के हों या शाम के या पत्र-पत्रिकाएं हों, इसके अलावा टेलीविजन तथा सड़कों पर लगने वाले होर्डिंग व पोस्टर विज्ञापन में लोगों की सेक्स क्षमता असीमित करने व सेक्स आनंद की अवधि कुछ मिनट की जगह पूरी रात तक बढ़ाने के दावों के साथ लिंग को स्केल के आखिरी इंच तक बढ़ाने, बुढ़ापे में जवानी वापस लाने के दावों, साथी को सम्पूर्ण रूप से संतुष्ट करने, शीघ्रपतन की कमी को खत्म करने के दावों से भरे पड़े हैं।
सेक्स क्षमता में कमी, कमजोरी, नपुंसकता को खत्म कर लिंग को अधिक देर तक टिकाए रखने के दावों के साथ तेल, दवाइयां, क्रीम व कैप्सूल व लिंग का व औरतों के ब्रेस्ट वर्धक यंत्र व क्रीम का विज्ञापन कर उन्हें ब्लू फिल्मों व पोर्नोग्राफिक विदेशी फिल्मों की तरह सेक्स करने की कल्पनाओं के दावों के साथ अपनी सेक्स दवाइयों के विज्ञापनों से भर दिए हैं, क्योंकि उन्हें भारतीयों की कमजोरी व उसकी सेक्स के प्रति विदेशियों जैसी मानसिकता की चाह का ज्ञान है। वहीं दूसरी ओर भारतीय नीम-हकीमों, यूनानी एवं अफगानी दवाइयों व चिकित्सा के स्वयंभू सेक्स गुरुओं ने भारत के सभी सार्वजनिक मूत्रालय, रेलवे व बस स्टेशनों के आसपास बड़े-बड़े होर्डिंग व पोस्टरों तथा हर शहर में ट्रेन के साथ ही रेलवे पटरियों के आसपास की दीवारों पर चाक से भारतीय अशिक्षित लोगों द्वारा किए जाने वाले पाशविक व बीमार शरीरों द्वारा किए जाने वाले सेक्स से उत्पन्न बीमारियों जैसे नपुंसकता, सुजाक, धातु का जाना, जलन, बवासीर, शीघ्रपतन, संतानहीनता, शुक्राणुहीनता, लिंग का पतला व छोटा होना, वीर्य की कमी को तुरन्त दूर करने के लिए मिलें जैसे स्वयंभू गुप्त रोगियों ने पुराने व प्राचीन भारतीय राजा-महाराजाओं के सेक्स पावर को बढ़ाने वाली जड़ी-बूूटियों, भस्म आदि के द्वारा उनकी सेक्स समस्याओं व सेक्स उत्तेजना व लिंग की गर्मी को बढ़ाने व कड़ापन तथा शीघ्रपतन खत्म करने के दावों के साथ अपनी दुकानदारी भारतीय जनमानस की अशिक्षित सेक्स को सुनियोजित तरीके से व्यावसायिक दोहन करने के लिए शहरों में होटलों व हर जगह फैला रखी है।
जब ये लोग मीडिया व एडवरटाइजिंग में आज करोड़ों-अरबों रुपए के विज्ञापन दे रहे हैं तो आप समझ सकते हैं कि इन काल्पनिक दावों व भारतीयों की सेक्स एजुकेशन को लेकर नासमझी की वजह से कितने अरबों-खरबों रुपए का यह ठगी का धंधा कई सालों से बिना किसी भय के कर रहे हैं, जबकि समाज, सरकार व बुद्धिजीवियों तथा मीडिया को सब पता है। न जाने क्यों सरकार व समाज ने सेक्स के नाम पर इन ठगों को (जिसे शिक्षित सेक्स का ज्ञान किसी ने नहीं दिया) शर्मदार भारतीयों को ठगने के लिए खुला छोड़ रखा है। इन व्यावसायिक सेक्सवर्धक विज्ञापनों में भारतीयों की सेक्स की समस्याओं व सेक्स के प्रति उनकी आसमान छूती लालसाओं के दृष्टिकोण के बारे में नजरिया साफ झलकता है।