आरटीआई के तहत मांगी जानकारी में हुआ खुलासा
नई दिल्ली। बीते दस सालों में देशभर के 157 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि इनमें से महज 15 के खिलाफ ही मुकदमे की मंजूरी दी गई है। यह तथ्य सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आई है। सूचना अधिकार कानून के तहत दिए गए आवेदन के जवाब में केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने बताया कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के तहत कुल 157 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, रिश्वत लेने, सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाने, आय से अधिक संपत्ति और विभिन्न घोटालों में शामिल होने और अनियमितता के आरोप हैं। हिसार के आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश वर्मा ने गंभीर मामलों में आरोपी अधिकारियों के संबंध में जानकारी मांगी थी। जानकारी के अनुसार इनमें से 142 मामलों में अब तक मुकदमे की मंजूरी नहीं मिली है। वहीं इनमें से 71 अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच हुई है। इनमें से दो अधिकारी हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में अनियमितताओं से संबंधित मामले में, दो अन्य आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में और 12 अन्य आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोपी हैं। बताया गया है कि कुछ अन्य अधिकारियों के खिलाफ हाईप्रोफाइल मामले भी लंबित है।
करोड़ों के घोटाले में अभियोजन स्वीकृति लंबित
केन्द्र सरकार की ई-गवर्नेंस के तहत इन्दौर-उज्जैन संभाग के 12000 गांवों के ग्रामीणों के सर्वांगीण विकास के लिए व ग्रामीण शिक्षित बेरोजगारों के लिए बनाई गई योजना में इन्दौर-उज्जैन संभाग के शिक्षित ग्रामीण बेरोजगारों से करोड़ों-अरबों रुपए की केन्द्र और राज्य सरकार की योजना के नाम पर खुलेआम ठगी की गई।
मप्र के पूर्व आईटी सचिव अनुराग जैन व मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लि. मप शासन का निकाय के पूर्व प्रबंध निदेशक अनुराग श्रीवास्तव के साथ आपराधिक षड्यंत्र कर, इन्दौर-उज्जैन संभाग के ग्रामीण इलाकों में 2158 कॉमन सर्विस सेंटर खोलने का अनुबंध किया। सन् 2008 में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण में अपराध धारा 467, 468, 471, 420, 109, 120बी सहपठित धारा 34 भादवि के अंतर्गत एवं धारा 13-1 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत निम्न आरोपियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज विशिष्ट न्यायालय द्वारा आरोपियों के विरुद्ध संज्ञान लेने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति लाने के लिए आदेश 14 जनवरी 2013 को मध्य प्रदेश सरकार के 2 आइएएस अधिकारी क्रमश: अनुराग जैन, पूर्व आईटी सचिव व हरिरंजन राव, वर्तमान आइटी सचिव तथा अनुराग श्रीवास्तव, पूर्व प्रबंध निदेशक मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के विरुद्ध विशिष्ट भ्रष्टाचार न्यायालय इंदौर द्वारा सभी सबूतों, तथ्यों व गवाहों को देखने और सुनने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी तथा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा के आरोपों के तहत आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति लाने के लिए दिए गए आदेश की कॉपी व 700 पेजों के सबूतों और कोर्ट में गवाहों द्वारा दिए बयानों की कॉपी के साथ एक आवेदन महामहिम राष्ट्रपति के कार्यालय में दिया व एक आवेदन मय दस्तावेजों के केन्द्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ परसोनल एंड ट्रेनिंग की अभियोजन शाखा में दिया। तकरीबन 15 महीने हो गए हैं, महामहिम राष्ट्रपति के यहां से जवाब आता है कि चंूकि राष्ट्रपति द्वारा राज्य सरकार से पूछे और मांगे गए सवालों के जवाब राज्य सरकार नहीं दे रही है! इसलिए देरी हो रही है! यही जवाब केंद्र सरकार से भी आता है कि हमारे द्वारा बार-बार पत्र लिखने के बावजूद राज्य सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है! इसलिए देरी हो रही है।