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प्रकृति ने इजराइल पर कोई रहम नहीं दिखाया, वहीं पड़ोसी देशों ने सदैव इस देश पर तिरछी निगाह रखी, लेकिन सदियों से अत्याचार सहने वाले यहूदियों ने हर मोर्चे पर जीवटता के नए आयाम रचे हैं। रेत में फूल खिलाए हैं। दुश्मनों को नाकों चने चबवाए हैं। इजराइल दक्षिण-पश्चिम एशिया में दक्षिण-पूर्व भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित देश है। उत्तर में लेबनॉन, पूर्व में सीरिया और जॉर्डन तथा दक्षिण-पश्चिम में मिली से घिरा इजराइल संसार के यहूदी धर्मावलंबियों के प्राचीन राष्ट्र का नया रूप है। नया इजराइल राष्ट्र 14 मई, 1948 को अस्तित्व में आया जो प्राचीन फिलिस्तीन अथवा पैलेस्टाइन का ही विस्तृत भाग है। मध्य-पूर्व में स्थित यह देश विश्व राजनीति और इतिहास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इतिहास और प्राचीन ग्रंथों के अनुसार यहूदियों का मूल निवास रहे इस क्षेत्र का नाम ईसाइयत, इस्लाम और यहूदी धर्मों में प्रमुखता से लिया जाता है। यहूदी, मध्य-पूर्व और यूरोप के कई क्षेत्रों में फैल गए थे। उन्नीसवीं सदी के अन्त तथा फिर बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में यूरोप में बढ़ते अत्याचारों के कारण यहूदी अपने क्षेत्रों से येरूशलम और इसके आसपास के क्षेत्रों में पलायन करने लगे। सन् 1948 में आधुनिक इजराइल राष्ट्र की स्थापना हुई।
यरूशलम इजराइल की राजधानी है, पर देश के अन्य महत्वपूर्ण शहरों में तेल अबीव का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। यहां की प्रमुख भाषा इब्रानी (हिब्रू) है, जो दाहिने से बाएं लिखी जाती है। यहां के निवासियों को इजराइली कहा जाता है। इजराइल में कृषि अत्यन्त विकसित उद्योग के रूप में है। यद्यपि, इजराइल की जलवायु एवं भूगोल कृषि के लिए प्राकृतिक रूप से उपयुक्त नहीं हैं, फिर भी यह देश बहुत-सी कृषि प्रौद्योगिकियों में विश्व में अग्रणी है। यह ताजे फलों का मुख्य निर्यातक है। इजराइल की आधी से अधिक भूमि रेगिस्तान है। यहां पानी की भारी कमी है। ये सब चीजें कृषि के लिए बाधक हैं। फिर भी वर्तमान में यहां के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिसा लगभग 2.5 प्रश तथा निर्यात का 3.6 प्रश है। अपनी जरूरतों का 95 प्रश भाग इजराइल स्वयं उत्पादित कर लेता है।
1949 में संरा की मान्यता

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सन 1948 से पहले फिलिस्तीन, ब्रिटेन के औपनिवेशिक प्रशासन के अंतर्गत एक क्षेत्र था। यहूदी लंबे अरसे से फिलिस्तीन क्षेत्र में अपने एक निजी राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रयत्नशील थे। इसी उद्देश्य को लेकर संसार के विभिन्न भागों से आकर यहूदी फिलिस्तीनी इलाके में बसने लगे। अरब राष्ट्र भी इसके प्रति सतर्क थे। फलत: 1947 ई. में अरबों और यहूदियों के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया। 14 मई, 1948 को यहूदी समुदाय ने इजराइल को राष्ट्र घोषित कर दिया, तभी सीरिया, लीबिया तथा इराक ने इजराइल पर हमला कर दिया और 1948 के अरब-इजराइल युद्ध की शुरुआत हुई। सऊदी अरब ने भी तब अपनी सेना भेजकर और मिस्र की सहायता से आक्रमण किया और यमन भी युद्ध में शामिल हुआ। इजराइल ने 11 मई, 1949 में संयुक्त राष्ट्र की मान्यता हासिल की।
उद्यमिता की मिसाल

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तेल अबीव इजरायल का प्रमुख उद्योग केंद्र है जहां कपड़ा, काष्ठ, औषधि, पेय तथा प्लास्टिक आदि उद्योगों का विकास हुआ है। हैफा क्षेत्र में सीमेंट, मिट्टी का तेल, मशीन, रसायन, कांच एवं विद्युत वस्तुओं के कारखाने हैं। येरूसलम हस्तशिल्प एवं मुद्रण उद्योग के लिए विख्यात है। नथन्या जिले में हीरा तराशने का काम होता है। मुख्य निर्यात सूखे एवं ताजे फल, हीरा, मोटर-गाड़ी, कपड़ा, टायर एवं ट्यूब हैं। मुख्य आयात मशीन, अन्न, गाडिय़ां, काठ एवं रासायनिक पदार्थ हैं।

विरोधियों से लिया लोहा

FOR TRAVEL -- ISREAL -- RITZ CARLTON -- PHOTO CREDIT: Sivan Askayo

अरब समुदाय तथा मिस्र ने इजराइल को मान्यता नहीं दी, 1966 में इजराइल-अरब युद्ध हुआ। 5 जून, 1967 को इजराइल ने मिस्र, जॉर्डन, सीरिया तथा इराक के खिलाफ युद्ध घोषित किया और महज 6 दिनों में अपने अरब दुश्मनों को पराजित कर क्षेत्र में अपनी सैनिक प्रभुसत्ता कायम की। इस युद्ध के दौरान इजराइल को अपने ही राज्य में उपस्थित फिलिस्तीनी लोगों का विरोध झेलना पड़ा, इसमें प्रमुख था फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) जो 1964 में बना था। 1960 के अंत से 1970 तक इजराइल पर कई हमले हुए, जिसमें 1972 में इजराइली प्रतिभागियों पर मुनिच ओलंपिक में हुआ हमला शामिल है। 1980 में इजराइल ने येरूसलेम को राजधानी घोषित किया, जिससे अरब समुदाय नाराज हो गया।

कृषि प्रौद्योगिकी में अग्रणी

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  • सब्जियों, संतरों, अंगूरों एवं केलों की उपज के लिए प्रसिद्ध है।
  • गेहूं, जौ, जैतून तथा तंबाकू की खेती होती है। समारिया का क्षेत्र जैतून, अंगूर एवं अंजीर के लिए प्रसिद्ध है।
  • जार्डन नदी के मैदान में केले की खेती होती है।
  • प्राकृतिक साधनों के अभाव में इजरायल की आर्थिक स्थिति विशेषत: कृषि तथा विशिष्ट एवं छोटे उद्योगों पर आश्रित है।टपक सिंचाई द्वारा सूखे क्षेत्रों को कृषि के योग्य बनाया। अत: कृषि का क्षेत्रफल, सन 1969-70 में 10,58,000 एकड़ था।

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