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आप कहीं भी रहे पर अपनी जिंदगी, कैरियर व भविष्य को दांव पर लगाकर किसी भी आमोद-प्रमोद में अपने आपको इतना ना उलझा लें कि सब कुछ वहीं खत्म हो जाए 
किशोरावस्था बहुत जिम्मेदारी की आयु है। यह उम्र का सबसे नाजुक पड़ाव है। इसी उम्र में हम बचपन से युवा अवस्था की तरफ बढ़ते हैं। इसी उम्र में आप अपना भविष्य रंक से राजा, चपरासी से कलेक्टर, लेबर से इंजीनियर, बीमार शरीर से डॉक्टर, सेल्समैन से बिजनेसमैन, अपराधी से जज, आम इनसान से खास मुकाम, रेड लाइट एरिये की अंधेरी गलियों से लालबत्ती के शक्तिशाली वाहन से सफर करने की तरफ ले जा सकते हैं।

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14 साल की उम्र से 22 साल की उम्र। यह उम्र का वह दौर है, जो युवा वर्ग के जीवन का सबसे अहम हिस्सा है। यही 8 साल आपकी बाकी की 80 साल की उम्र के लिए बीज का काम करते हैं। आपकी जो जिंदगी, लाइफ स्टाइल, कॅरियर, शारीरिक स्वास्थ्य, सोच और सफलता आदि को निर्धारित करती है। इसी उम्र में आप अपनी शारीरिक व मानसिक शक्तियों को जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों को प्राप्त करने व सफलता के शिखर तक पहुंचाने के लिए विकसित कर सकते हैं। यही उम्र का वह दौर है, जब आप अपने मां-बाप, भाई-बहनों, गुरुओं तथा अपने खुद के सपने को सच करने व उन्हें साकार रूप देने के लिए शिक्षा व ज्ञान के भंडार से अपने आपको शृंगारित कर सकते हैं। यदि आप इस उम्र में अपने जीवन रूपी महल की नींव मजबूती से नहीं डालेंगे, तो जीवन को इस महल रूपी इमारत, जहां दुनिया के सारे सुख सुविधाएं ख्वाब, जो आप चाहते हैं, वह किसी रेत के महल की तरह ध्वस्त हो जाएगी। जरूरी है आपको अपनी जिंदगी के प्रति जवाबदार होने की। आप कहीं भी रहें, कहीं भी जाएं चाहे खेल के मैदान में, सिनेमा घर में, कॉलेज कैम्पस में, होटल, बार, पब, साईबर कैफे, पर्यटन स्थल, घर, कोचिंग, शीशा लाउंज कहीं पर भी, जहां आप जीवन का आनंद व जिंदगी का लुत्फ उठाते हैं, वहां पर आपका नजरिया चीजों को जानने, समझने व एजुकेटेड तरीके से सीखने का हो। आप अपने आपको जिंदगी का लुत्फ उठाने में इतना मशगूल न कर लें कि इन जगहों पर आपका कॅरियर, भविष्य तथा जिंदगी के ख्वाब मुट्ठी में बंद रेत की तरह फिसल जाएं।
आप कहीं भी रहें, पर अपनी जिंदगी, कॅरियर व भविष्य को दांव पर लगाकर किसी भी आमोद-प्रमोद में अपने आपको इतना न उलझा लें कि सब कुछ वहीं खत्म हो जाए। आज हम वैश्वीकरण के दौर से गुजर रहे हैं। कम्प्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल इंटरनेट व सूचना युग का जमाना है। जहां सारी दुनिया की संस्कृति, सभ्यता, चाल-चलन, रहन-सहन, पहनावा, खान-पान सब आपकी पहुंच के इतना करीब है, जो आपकी पिछली पीढिय़ों से कोसों दूर था।
आज समाज वैश्विक परिवर्तन के दौर में है।अब युवा पीढ़ी किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय, संस्कृति, सभ्यता, विरासत, खान-पान रहन-सहन, वैवाहिक संस्कार की मिल्कियत नहीं है। इन सबमें ग्लोबलाइजेशन व वैश्वीकरण का प्रभाव पहुत गहरे तक अपनी पैठ व जड़ें जमा चुका है। टीवी, केबल, इंटरनेट, मोबाइल व सूचना क्रांति ने दुनियाभर का ज्ञान व मनोरंजन के साधन, सोच, खुलापन व बिंदास जीवन शैली को जानने, समझने व उन्हें अपने जीवन में उतारने के लिए आपको पूर्ण आजादी व आडियो-वीडियो स्वरूप में युवाओं की अंगुलियों में समाहित कर दिया है। जिस सेक्स का विवाह संस्कार के बाद आनंद उठाते थे, वही सेक्स अब आज के किशोरों व युवा पीढ़ी को कम्प्यूटर व इंटरनेट के माध्यम से समय से पहले ही युवा कर रहा है। पोर्नोग्राफी या कहें कि सेक्स की तमाम मुद्राओं के तौर पर अथाह समुद्र के नीले जल की लहरों की तरह ब्लू फिल्मों व वीडियो क्लिपिंग के रूप में मात्र डब्ल्यूडब्लू डाट कॉम, कम्प्यूटर पर, मोबाइल पर बटन दबाते ही आज की युवा पीढ़ी के सामने अश्लीलता का नीला सागर मन मस्तिष्क में आंखों के जरिये लहराने लगता है। चूंकि किसी भी युवा पुरुष व महिला में सेक्स की ऊर्जा शरीर में स्वाभाविक रूप से प्रवाहित होती है। इस ऊर्जा की गरमी से उत्पन्न उत्तेजना तथा उसे शांत करने के लिए युवा समाज की मान्यता प्राप्त सारी वर्जनाओं, परंपराओं, मर्यादओं और रिश्तों को तोडऩे में पूरे बिंदास अंदाज व खुलेपन से बिना किसी के परवाह किए आनंद मग्न है। आज की युवा पीढ़ी में शादी से पहले सेक्स, लिव-इन-रिलेशनशिप, समलैगिंकता, स्त्री व पुरुषों में समान रूप से, ग्रुप सेक्स, रेव व ब्लू फिल्म पार्टियां आज भारतीय युवा पीढ़ी में सामान्य रूप से बड़े पैमाने पर होना आम बात हो चुकी है। वर्जिनिटी अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है। समाज ने भी सब कुछ जानते हुए भी इन चीजों को मूक तरीके से अपना समर्थन दे दिया है। आज भारत के अमूमन सभी शहरों में युवाओं के बीच से एक-दूसरे के प्रति बढ़ता आकर्षण तथा यौन संतुष्टि के प्रति बढ़ती ललक आप खुलेआम देख सकते हैं। रेस्त्रां, पब, शीशा लाउंज, बाइक पर सवारी करते, कार की सीटों पर आगे व पीछे, कॉलेज कैम्पस सड़कों, बाजारों, बाग-बगीचों में भी युवाओं को आलिंगनबद्ध व ओरल सेक्स करते हुए देखा जाना आम बात है।
बॉयफ्रेंड, लव मैरिज, खुलापन व बिंदास नजरिया अब युवाओं में तथा समाज में भी बहुत तेजी से मान्यता प्राप्त करता जा रहा है। जरूरी है कि अब युवा पीढ़ी से लडऩे के बजाय इसे जिंदगी, कॅरियर, घर व भविष्य के प्रति जवाबदार बनाने की शिक्षा दी जाए। आज जरूरत है एक नए हाईब्रीड स्वस्थ समाज की, जिसमें पुरानी पीढ़ी व युवा पीढ़ी आपसी सामंजस्य के साथ परंपराओं, मर्यादाओं व नैतिकता के साथ परस्पर सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपना सके।

2 thoughts on “14 से 22 साल, जिंदगी का खतरनाक मोड़”

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