पिछले हफ्ते से बिहार में ‘चमकी बुखार’ का जो कहर शुरू हुआ है वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार इससे जुड़े मामले सामने आ रहे हैं और मौतों का आंकड़ा 152 तक पहुंच गया है. बुखार की वजह से मचे हाहाकार के बीच इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चमकी बुखार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने सरकारों से तीन मुद्दे पर हलफनामा दायर करने को कहा है जिसमें हेल्थ सर्विस, न्यूट्रिशन और हाइजिन का मामला है. अदालत की तरफ से कहा गया है कि ये मूल अधिकार हैं, जिन्हें मिलना ही चाहिए.चमकी बुखार की दहशत को देखते हुए मध्यप्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री तुलसी सिलावट ने इंदौर में एक आवश्यक मीटिंग की जिसमे मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में कहीं पर भी चमकी बुखार से घबराने की ज़रूरत नहीं है। स्वास्थ्य अमला को उन्होंने सजग करते हुए इस बुखार के प्रति जागरूकता निर्माण के निर्देश दिए हैं। आज रेसीडेंसी सभाकक्ष इंदौर में उन्होंने इंदौर के स्वास्थ्य अमले की बैठक लेकर चमकी बुखार सहित अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा की। बैठक में क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य डॉ. लक्ष्मी बघेल, अधीक्षक एमवाय हॉस्पिटल डॉ. पी. एस. ठाकुर, ओएसडी डॉ.सुमित शुक्ला, सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने इंदौर में इस बुखार के संदर्भ में एक कंट्रोल रूम गठित करने के निर्देश भी दिए। यह कंट्रोल रूम पीसी सेठी हास्पिटल में बनाया जाएगा, इसका दूरभाष नंबर 0731-2537253 रहेगा। श्री सिलावट ने निर्देश दिए कि प्रत्येक बड़े हास्पिटल में दो बिस्तर इस तरह की गंभीर बुखार के लिए आरक्षित रखे जाएं। श्री सिलावट ने सभी चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ़ के अवकाश निरस्त करने के निर्देश भी दिए।
क्यों होता है चमकी बुखार
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जाड़िया ने बताया कि चमकी बुखार एईस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) है। इसमें मरीज के शरीर में खून में ग्लूकोज एवं सोडियम की कमी हो जाती है। यह सिंड्रोम वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के कारण हो सकता है। यह हाइपोग्लाइसीमिया कुपोषण और पौष्टिक आहार की कमी के कारण होता है।
चमकी बुखार के लक्षण
लगातार तेज बुखार चढ़े रहना, बदन में लगातार ऐठन होना, दांत पर दांत दबाए रहना, सुस्ती चढ़ना, कमजोरी की वजह से बेहोशी, चिकोटी काटने पर शरीर में कोई गतिविधि न होना, उल्टी आने की समस्या चमकी बुखार के लक्षण हैं।
उपचार
चमकी बुखार से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी न होने दें। बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें। रात को खाना खाने के बाद हल्का फुल्का मीठा जरूर दें। मरीज को थोड़ी-थोड़ी देर बाद तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो। तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार कम हो सके। बच्चे के शरीर से कपड़े हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें। पेरासिटामोल की गोली व अन्य सीरप डॉक्टर की सलाह के बाद ही दें। अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे साँस लेने में कोई दिक्कत न हो। बच्चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें। तेज रोशनी से बचाने के लिये मरीज की आँखों को पट्टी से ढंके। बेहोशी व मिर्गी आने की अवस्था में मरीज को हवादार स्थान पर लिटाएं। उसे रात में भरपेट भोजन कराएं। चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर चिकित्सालय ले जायें।
सावधानी
बच्चों को झूठे व सड़े हुए फल न खाने दें, भोजन करने के पूर्व हाथ अवश्य धोएं, खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धुलवाएं, पीने का पानी स्वच्छ रखें, बच्चों के नाखून न बढ़ने दें, गंदगी भरे इलाकों से दूर रखें, चमकी के लक्षण दिखने पर तेज धूप में जाने से बचें। दिन में दो बार स्नान करायें। बच्चे को कंबल अथवा गर्म कपड़ों में न लपेटें। बच्चे की नाक न बंद करें। बच्चे की गर्दन झुकाकर न रखें। मरीज के बिस्तर पर न बैठें।