खुदगर्ज, भ्रष्टाचारी, धूर्त और क्रतघण्य पुलिस वाले अपने ही विभाग के पूर्व पुलिस वाले के साथ न्याय नहीं कर पाए!?
अपने ही पूर्व सहकर्मी पुलिस आरक्षक को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया! तो आम जनता का क्या होगा?
शहर के पॉश इलाके के तीन थानों तुकोगंज, पलासिया और विजय नगर का स्टाफ और थाना प्रभारी सिर्फ मोहरे है! असली खेल बड़े पुलिस अधिकारियों का है!
बीते सोमवार को पुलिस की कार्यप्रणाली का शर्मनाक और घिनोंना चेहरा एक बार फिर सामने आया जब एक पूर्व पुलिस आरक्षक योगेश वर्मा ने शहर की पुलिस प्रमुख पुलिस कप्तान एस एस पी रुचि वर्धन मिश्रा के कार्यालय में थाना तुकोगंज के जांच अधिकारी पुलिस वालों और एक वरिष्ठ सी एस पी के व्यवहार, खुदग़रजी, भ्रष्टाचार और क्रतघण्य रवैये और स्वयं के साथ जांच के नाम पर हो रही कानूनी कमीने पन से दुखी होकर केरोसिन डाल कर आत्म हत्या का प्रयास किया!?
पीडि़त आरक्षक पुलिस वाले ने खुद के साथ हुए धोखे और अन्याय के लिए दो वकीलों और 1 पुलिस अधिकारी सहित 6 लोगो को जिम्मेदार बताया है!
इस से ज्यादा पुलिस विभाग की क्रतघण्यता और धूर्तता और क्या होगी कि अपने ही विभाग के अपने ही सहकर्मी के साथ इतना अन्याय पूर्ण व्यवहार कि उसे इस हद तक परेशान किया गया कि वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो गया वो भी पुलिस कप्तान के कार्यालय में!?
ऐसा नही है कि ये पहला उदाहरण है किसी पुलिस वाले का खुद अपने ही विभाग की उदासीनता और कृतघण्यता का! इसके पहले भी और आज भी कई पूर्व और रिटायर हो चुके पुलिस आरक्षकों और अधिकारियों के साथ पद से मुक्त होने के बाद खुद पुलिस वालों ने ही अन्याय की पराकाष्ठा तक जाकर दुख दिए हैं!? इंदौर के पूर्व आई जी सुरजीत सिंह तो रिटायर होने के बाद उनके बेटे के साथ हुई मारपीट की शिकायत के मामले में थाना विजय नगर में रो तक दिए थे पुलिस वालों के उनके साथ किए गए व्यवहार की वजह से!?
वैसे इंदौर के सबसे पॉश इलाके के तीन थाने, थाना तुकोगंज, पलासिया और विजय नगर जो हाई सोसाइटी, अमीर, पैसे वाले और प्रभाव शाली तबकों के रहवासी और व्यवसायी क्षेत्र मे आते हैं! इन थानों मे दर्ज होने वाली शिकायतों और पुलिस एफ आई आर में पैसा और प्रभाव का खुला खेल चलता है! यहा अपराध की धाराएं खरीदी और बेची जाती है! पैसे के बल पर अपराधियों के नाम बढ़ाए और घटाए जाते हैं! कोर्ट मे चालान और जांच के नाम पर रिमांड सबके रेट निर्धारित होते हैं! और ये सब उच्च अधिकारियों की देखरेख और आदेश पर होता है! यहा के थानों का स्टाफ और थाना प्रभारी सिर्फ मोहरे होते हैं! खेल उच्च अधिकारियों का होता है!
जब कोई मामला प्रकाश में आता है तो सिर्फ मोहरे ही पिटाते हैं!
क्या पुलिस के उच्च अधिकारी पीड़ित और गंभीर रूप से जले पूर्व पुलिस आरक्षक को आत्म हत्या के लिए मजबूर करने और उकसाने के लिए उन 6 आरोपियों जिनके नाम पीड़ित पुलिस आरक्षक योगेश वर्मा ने बताए है के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगी जिसमें 2 वकील और एक सी एस पी स्तर का अधिकारी है!
या फिर पुलिस वाले किसी के नहीं होते हैं इसे चरितार्थ करेगी!.