आयुष्मान योजना में सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल के चार्ज में भारी अंतर
200 फीसदी ज्यादा चार्ज ले रहे है प्राइवेट हॉस्पिटल
स्पेशल, इंटेंसिव, एडवांस और महंगे पैकेज बताकर और मरीजों को औसत से ज्यादा दिन भर्ती कर बढ़ा रहे है बिल और लगा रहे है सरकार को चुना!?
इंदौर, (री-डिस्कवर इंडिया न्यूज)। आयुष्मान भारत हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत बड़ी खामी देखने को मिली है। स्कीम के अंतर्गत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के खर्च में भारी अंतर है। कुछ मामलों में तो यह अंतर 200 फीसदी से ज्यादा है, जबकि सरकार ने इलाज के पैकेज के दाम फिक्स किए हैं। इस अंतर के कारणों का पता लगाने के लिए नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (हृ॥्र) हरकत में आ गया है। उसने स्कीम का दुरुपयोग रोकने के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल की खातिर दिशानिर्देश बनाए हैं। अब तक आयुष्मान भारत योजना में धोखाधड़ी के करीब 1200 मामलों की पुष्टि हुई है। इसमें से 338 अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही 376 मामले की हृ॥्र जांच कर रही है। अब तक 97 अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना के पैनल से हटा दिया गया है। कुछ अस्पतालों को चेतावनी दी गई है, जबकि कुछ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि मोदी सरकार आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। आयुष्मान भारत योजना में फ्रॉड करने वाले अस्पताल पर सरकार 1.5 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगा रही है, जबकि छह मामले में प्राथमिकी भी दर्ज की गयी है। मोदी सरकार आयुष्मान भारत पर 7500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है वहीं मध्यप्रदेश में सितम्बर महीने तक 200 करोड़ रुपया इस योजना के तलत अस्पतालों में वितरित कर चुकी है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के गरीब लोगों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें किसी तरह का फ्रॉड अक्षम्य है। गड़बड़ी में शामिल पाऐ गए ऐसे अस्पताल को न केवल पैनल से हटाया जाएगा, बल्कि उनके नाम प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दिये जाएंगे। उनका नाम सार्वजनिक किया जायेगा।
शुरुआती पड़ताल से पता चलता है कि सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में कुल खर्च कम से कम तीन गुना ज्यादा था। सरकार इस योजना के तहत 50 करोड़ गरीब लोगों को 5 लाख रुपए तक का ईलाज मुफ्त में कराने के लिए संकल्पित है सरकार की फ्लैगशिप इंश्योरेंस स्कीम के तहत 18,550 अस्पतालों को सूबीबद्ध किया गया है। इसमें से 54 फीसदी प्राइवेट अस्पताल हैं, जबकि बाकी के अस्पताल सरकारी हैं। स्कीम के तहत 60 फीसदी लाभार्थियों को निजी अस्पतालों ने सेवाएं दी हैं। स्कीम लॉन्च होने से 50 लाख लोगों ने इसका फायदा उठाया है। प्राइवेट सेक्टर की अधिक भागीदारी के चलते सरकार की लिए जरूरी हो जाता है कि वह इलाज की लागत पर अंकुश लगाए और किसी दुरुपयोग को रोके। अध्ययन से पता चलता है कि प्राइवेट अस्पतालों में मरीज के भर्ती रहने के औसत दिन ज्यादा थे। साथ ही स्पेशल और महंगे पैकेज का ज्यादा इस्तेमाल किया गया, वहीं, सरकारी अस्पतालों में बैसिक पैकेजों का सामान्य रूप से उपयोग किया गया।