@ प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़ इंदौर (Rediscoverindianews.com)
पिछले 48 घंटे पहले देश के सबसे बड़े व्यवसायिक कोचिंग हब के शहर कोटा में 16 से 19 साल के तीन छात्रो अंकुश ,आनंद और उज्जवल ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला शुरू होने के पहले ही अपने आपको सदा के लिए नीद के आगोश में सुला दिया. ये तीनो छात्र देश की सबसे विख्यात और कुख्यात मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग एलेन कोचिंग संस्थान (Allen coaching) कोटा (kota) में पढ़ते थे ! जिसके मालिक ने कुछ साल पहले अपने शिक्षको को संबोधित करते हुए कहा था की मै कोचिंग इंडस्ट्री (coaching industry) का डॉन हू ! इस तथाकथित स्वयंभू डॉन की कोचिंग से अबोध ,अल्पायु के किशोरवय के बच्चो की आत्महत्या की यह कोई पहली दर्दनाक और हिला देने वाली घटना नहीं है!
विभिन्न मीडिया रीपोर्टो से मिली जानकारी के अनुसार सन 2015 से अभी तक 50 से ज्यादा छात्र जिन्होंने आत्महत्या कर अपने आपको सदा के लिए नीद के आगोश में सुला दिया वो इसी डॉन महेश्वरी बंधुओ के कोचिंग (coaching) संस्थान एलेन में पढ़ते थे !? 2022 के इस साल के ख़त्म होने के अभी तक कुल 9 छात्र आत्महत्या कर चुके है !?
कोटा की इन मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग (coaching)के लिए छात्र और उसके अभिभावक सिर्फ एक “कस्टमर” है “सपने” इनके प्रोडक्ट है और अत्यधिक फीस इनका मुनाफा या टर्नओवर है ! सिर्फ कोटा की एलेन कोचिंग (Allen coaching) का सालाना टर्नओवर 1000 करोड़ से ज्यादा है ! अमूमन एक छात्र की कोचिंग (coaching)की फीस ,हॉस्टल और खाने पीने सहित 3 सालो का कुल खर्च 5 लाख से ज्यादा का लगता है!!
कोचिंग (coaching) में छठीं क्लास से ही बच्चों को बड़े सपने दिखाए जाते हैं!!
एलेन जैसे कोटा के कोचिंग (coaching) संस्थान कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चों का डाटा स्कूलों से खरीदकर टैलेंटेक्स नाम की परीक्षाएं 6 से 9वीं क्लास तक के बच्चों की कराते हैं। उनको करोड़ों की स्कॉलरशिप का लालच दिया जाता है। परीक्षा में छात्र पास हो या फेल, सबको सफलता का मैसेज या रिजल्ट भेज देते हैं! अखबारों में फुल पेज के विज्ञापन और उनके अभिभावकों को बुलाकर उन्हें झूठे दावे, अपने यहां सफल छात्रो की फर्जी लिस्ट बताकर दिग्भ्रमित कर देते हैं, जिससे अभिभावकों को यह लगने लगे कि यदि उनका बच्चा इस कोचिंग (coaching) में जाएगा तो निश्चित ही सफल हो जाएगा। क्योंकि इन कोचिंग क्लासेस का एकमात्र उद्देश्य येन-केन प्रकारेण छात्र को भर्ती करना है। चाहे उसमें काबिलियत हो या न हो।
सीधा-सादा, सरल व आज्ञाकारी छात्र बेचारा इस जाल में फंस जाता है! और मां-बाप की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए हताशा व निराशा की गर्त में डूब जाता है। मनोचिकित्सक कहते हैं कि बहुत ज्यादा संवेदनशील बच्चों को भीड़ में झोंक देना, भाड़ में झोंक देने से कम नहीं है।*
कोटा kota के कोचिंग (coaching) संस्थानों की बेतहाशा फीसें डाल रही हैं पेरेंट्स व छात्रों पर मानसिक दबाव!
कोटा (kota) के कोचिंग (coaching) संस्थानों द्वारा इंजीनियरिंग व मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में छात्रों को कोचिंग देने के नाम पर लाखों रुपए फीस के माध्यम से वसूल रही हैं। वो भी मात्र दो से चार किस्तों में। किस्तें समय पर नहीं जमा करने पर भारी पेनल्टी के साथ छात्र का एडमिशन निरस्त कर दिया जाता है। इस वजह से न सिर्फ छात्र वरन् उनके अभिभावक भी मानसिक दबाव की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। वह अपने माता-पिता की मजबूरी को भी समझते हैं कि उनके माता-पिता इतनी भारी-भरकम फीस का बंदोबस्त कैसे करेंगे? और यदि वो यदि कर्ज के माध्यम से करते हैं तो बच्चे पर सफल होने का इतना दबाव रहता है कि वह दबाव को सहन नहीं कर पाता है और यही मुख्य वजह बनती है छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति की। पिछले कुछ वर्षों में तकरीबन सौ से ज्यादा छात्रों ने डिप्रेशन में आकर आत्महत्या को गले लगाया है।
भविष्य संवारने के लिए यहां आए बच्चों को इस हद तक तोड़ देती है कि वे मौत को गले लगाने जैसा भयानक कदम उठा लेते हैं। यह सिर्फ पढ़ाई का दबाव है, या माता-पिता की महत्वाकांक्षाओं का बढ़ता बोझ? ऐसा तो नहीं कि बच्चों से ज्यादा दोषी उनके मां-बाप हैं जो बच्चों पर रेस के घोड़े की तरह मोटे पैसे का दांव लगाते हैं और उन्हें जीत से कम कुछ नहीं चाहिए। गलत विषय का चयन, बच्चे को अपनी क्षमता के बारे में सही जानकारी न होना, और होम सिकनेस। ऐसे में कोचिंग (coaching) संस्थानों द्वारा ली जाने वाली टेस्ट में जब बहुत से बच्चों की रैंक अचानक गिर जाती है तो वे यह झटका बर्दाश्त नहीं कर पाते। और वे आत्महत्या की हद तक चले जाते हैं।
@ प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इण्डिया न्यूज़ इंदौर (Rediscoverindianews.com)