@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज़ इंदौर
वेश्यालय के ‘ग्राहक’ को अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम'(Immoral Traffic Prevention Act) के तहत सज़ा नहीं दे सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि यदि कोई व्यक्ति (ग्राहक) वेश्यालय में आता है और अपनी वासना की संतुष्टि के लिए पैसे देता है तो अधिक से अधिक यह कहा जा सकता है कि वह अपनी वासना को संतुष्ट करने के लिए महिला को खरीदता है, न कि व्यावसायिक उद्देश्यों या पैसा कमाना के लिए। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उसने महिला को वेश्यावृत्ति के लिए खरीदा या प्रेरित किया।
जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा कि वेश्यालय में ग्राहक के रूप में किसी व्यक्ति की उपस्थिति मात्र अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम,(Immoral Traffic Prevention Act 1956) की धारा 3/4/5/7/8/9 के तहत अपराध की सामग्री को आकर्षित नहीं करेगी। इसलिए वेश्यालय में ग्राहक के रूप में किसी व्यक्ति की उपस्थिति मात्र अधिनियम की धारा 3/4/5/7/8/9 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आएगी। अदालत ने ये टिप्पणियां आरोपी द्वारा दायर निरस्तीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं, जिस पर अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम, 1956 की धारा 3/4/5/7/8/9 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सह-अभियुक्त आवेदक को एक घर की तलाशी के दौरान रंगे हाथों पकड़ा गया था , जिसे वेश्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। इसलिए उसके खिलाफ अधिनियम के तहत अपराध बनाया गया।
महिला “एस” के साथ अंतरंग स्थिति, जो कथित तौर पर एक बंद कमरे में वेश्यावृत्ति में शामिल है। उनके वकील ने यह तर्क दिया कि आवेदक केवल ग्राहक है और वेश्यावृत्ति के लिए इस्तेमाल किए जा रहे किसी भी घर में केवल ग्राहक होने के नाते अधिनियम के तहत कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा, जब तक कि वेश्यावृत्ति के धंधा में ग्राहक की भागीदारी न हो।
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यूज़ इंदौर