@री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

90 फीसदी टू व्हीलर एक्सिडेंट से होने वाली प्रत्येक मौत के लिए सरकार ही जिम्मेदार है।

 

कल इंदौर में बाइपास पर 55 वर्षीय सब्जी बेचने वाले की बाइक को तेज रफ्तार मर्सिडीज कार ने टक्कर मारी और सब्जी बेचने वाले की मौत हो गई? और दूसरी घटना इंदौर देवास हाइवे पर एक बाइक सवार पति पत्नी को मिनी ट्रक ने टक्कर मारी और दोनों की मौत हो गई और कोढ़ मे खाज यह है की इस तरह से रोड एक्सीडेंट मे होने वाली असमय मौतों को आम जनता से लेकर सरकार तक एक सामान्य मानवीय गलतियों की वजह से हों वाली घटना मान कर अनदेखा कर देती है जबकि 90 फीसदी टू व्हीलर एक्सीडेंट से होने वाली मौतों के लिए सरकार जिम्मेदार है।

क्यों तीन अलग अलग लेन, टू व्हीलर, फोर व्हीलर, ट्रक और कमर्शियल वाहनों के लिए कम से कम हाइवे, रिंग रोड, बाइपास पर तो बनाई ही जा सकती है।  इसे बनाने में कोई खर्चा भी नहीं है, सिर्फ लेन अलग करनी है। 

आप जरा कल्पना करो कि घर का मुखिया या घर का वारिस या परिवार हेल्मेट लगाकर बिना नशा किए हुए, एक सामान्य स्पीड से हाइवे, रिंग रोड,  बाई पास या सिंगल रोड स्टेट हाइवे से जा रहा है, और अचानक पीछे से या सामने से तेज गति से कोई कार या ट्रक या कोई भी कमर्शियल वाहन टक्कर मार देता है! और सब कुछ खत्म! परिवार और बच्चे अनाथ! जिंदगी की सारी खुशियां और सपने एक टक्कर से चकनाचूर! घर में इंतजार कर रहा परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और संगी-साथी अवाक और बदहवास! किसे दोष दे? नियति या भाग्य को? नहीं नियति और भाग्य नही है इन एक्सीडेंट से होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार नहीं है। क्योंकि मौत के रास्ते है ये हाइवे?

सरकार भारत को विकसित देश बनाने का दावा कर रही है? इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर सड़कों का जाल बिछा रही है. टू लेन, फोर लेन, सिक्स लेन, 8 लेन, एक्स्प्रेस हाई – वे, हाई स्पीड हाई वे का पूरे देश में निर्माण किया जा रहा है? लेकिन क्या सरकार को यह पता नहीं है कि सड़क पर टू व्हीलर, फोर व्हीलर और ट्रक सब साथ साथ चलते हैं। 

क्या सरकार को यह पता नहीं है कि टू व्हीलर वाहन चालक के पास किसी भी तरह के सुरक्षा उपकरण नहीं होते हैं? सबसे ज्यादा रिस्क लेकर सड़कों और हाइवे पर टू व्हीलर वाला चलता है! सबसे ज्यादा असुरक्षित! क्यों सरकार टू व्हीलर चलाने वालों के लिए अलग लेन निर्धारित नहीं करती है? क्यों उसे हाई स्पीड कारो, हेवी ट्रक और कमर्शियल वाहनों के बीच मरने के लिए हाइवे और सड़कों पर छोड़ दिया गया है? 

कौन जिम्मेदार हैं इन एक्सिडेंट से होने वाली मौतों का? किसने बनाई सड़के और हाइवे? बेशक अदूरदर्शी, बेदर्द और बेरहम सरकार और उन्हें सलाह देने वाले उच्च सरकारी अधिकारी और भ्रष्ट, अकुशल ठेकेदारों और बुद्धिहीन इंजिनियरो की जमातो ने!?

आज भारत में हर साल लगभग 5 लाख एक्सिडेंट होते हैं! उनमें 2.5 लाख लोग असमय मृत्यु के शिकार हो जाते! और तकरीबन 6 लाख लोग गंभीर रूप से घायल और अंग भंग हो जाते हैं! इसका मतलब है प्रतिमाह 50 हजार एक्सिडेंट और 20 हजार लोगों की मौत! 700 मौत प्रतिदिन!?

और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पूरे भारत में मध्यप्रदेश का दूसरा स्थान है एक्सीडेंट से होने वाली मौतों और रोड एक्सिडेंट में?

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

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