सीबीएसई के नियमों व मापदंडों की धज्जियां बिखेरते स्कूल
एलेन कोचिंग इंस्टिट्यूट की भर्ती की फर्जी परीक्षा ‘टैलेंटेक्सÓ
स्कूल बेच रहे हैं छात्रों व अभिभावकों की निजी जानकारी कोचिंग संस्थानों को
सबकुछ जानते हुए भी सरकार, जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग का इस गोरखधंधे को समर्थन
आम नागरिक बच्चों को स्कूल में पढऩे क्यों भेजता है? जाहिर है बच्चे के भविष्य के लिए। हर मां-बाप की आंखों में सपना होता है कि उसके बच्चे इंजीनियर, डॉक्टर बनें। इसके लिए वे बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं। परिस्थितियां कैसी भी हों, बच्चों के भविष्य के लिए वे हर तरह का समझौता व त्याग करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। इसके लिए वे अपने बच्चे को अच्छे से अच्छे स्कूल में भर्ती कराने के लिए सदैव चिंतिंत व उत्सुक रहते हैं। वे यह समझते हैं कि जितने अच्छे स्कूल में बच्चे को पढ़ाएंगे उतनी ही अच्छी तालीम उसे मिलेगी, लेकिन आज के दौर में यह बात पूर्णत: बेमानी होती जा रही है कि बच्चों का भविष्य स्कूल में निर्धारित होता है। कोई छात्र भविष्य में क्या बनेगा इसकी जवाबदारी स्कूलों की नहीं है? आजकल के स्कूल अपनी जिम्मेदारी से न सिर्फ पल्ला झाड़ रहे हैं, वरन् कोचिंग माफियाओं के लिए दलाली करने में भी लिप्त हैं। छात्रों को मात्र 10 से 15 हजार रु. की दलाली प्राप्त करने के लिए कोचिंग संस्थानों को बेच रहे हैं और कॅरियर बनाने के लिए छात्रों को धकेल रहे हैं! इन्होंने अपने परिसरों में कोचिंग संस्थानों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियां चलाने व छात्रों को जाल में फंसाने की खुली छूट दे रखी है।
इंदौर। वर्तमान दौर में स्कूलों की पढ़ाई, फिर चाहे वह बोर्डों से मान्यता प्राप्त हो या सीबीएसई से, सरकारी स्कूल हो या प्रायवेट, वो माद्दा या गहराई नहीं है कि वह अपने यहां के छात्रों को इंजीनियरिंग व मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में सफल करवा सके।
क्या स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापक कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने वाले अध्यापकों से स्तरहीन व अनुभवहीन हैं? कौन जवाबदार है? सरकार या बड़े-बड़े प्रायवेट स्कूलों के शिक्षा व्यापारी? आज प्रायवेट स्कूलों की आसमान छूती फीसें, यूनिफार्म, किताबों, कॉपियों के नाम पर व्यावसायिक कमीशनबाजी, छात्रों को लाने ले जाने के नाम पर संचालित बसों से कमाई, दोपहर में भोजन के नाम पर मेस की व्यावसायिक व्यवस्था, यहां तक कि छात्रों के आईडी कार्ड बनवाकर देने तक, हर तरफ छात्र व अभिभावकों से लाखों रुपए लेकर उनका आर्थिक शोषण करने में लिप्त हैं। आजकल बड़े स्कूल छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए उन्हें कोचिंग संस्थानों में भेजने के लिए गैर कानूनी व अनैतिक, छात्र व शिक्षक के संबंधों को शर्मसार करते हुए सबसे बड़े दलाल की भूमिका निभा रहे हैं।
जहां एक ओर सीबीएसई बोर्ड ने 6 फरवरी 2014 को सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन) के सर्कुलर नं. सीबीएसई/ एएफएफ/ सर्कुलर/ 2014/ 675578 में सीबीएसई स्कूलों में किसी भी व्यावसायिक प्रयोजन, गतिविधियां या व्यापार स्वयं या किसी अन्य तरीके से शामिल होने पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। सर्कुलर में सचिव जोसेफ इमेनुअल ने साफ शब्दों में सीबीएसई स्कूलों को स्पष्ट किया था कि स्कूलों द्वारा किसी भी तरह की कोचिंग या प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने के नाम पर या तैयारी का बहाना बनाकर स्कूल भवन में कोचिंग चलाना या दूसरे को चलाने देना बोर्ड के नियमों व मापदंडों का उल्लंघन है। कुछ स्कूलों द्वारा इंटीग्रेटेड स्कूल प्रोग्राम के तहत अलग से क्लास लेने के नाम पर छात्रों व अभिभावकों को भ्रमित कर कोचिंग संस्थान चलाना गैर कानूनी है। ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी अन्य तरीके से शैक्षणिक फीस नहीं ली जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ सीबीएसई स्कूलों के भवनों में किसी भी तरह की शैक्षणिक व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित करने व करवाने की अनुमति सीबीएसई बोर्ड नहीं देता है। इस सर्कुलर की धज्जियां उड़ाते हुए शहर के अधिकांश बड़े सीबीएसई स्कूलों ने खुलेआम कोटा के एक कोचिंग संस्थान एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट, जिसने 8 अक्टूबर 2014 को इंदौर में पांचवां बड़ा क्लास रूम कोचिंग सेंटर खोला। इस संस्थान के साथ मिलकर तथा लाखों-करोड़ों रुपए की दलाली लेकर न सिर्फ अपने परिसरों में टैंलेंटेक्स नाम की कोचिंग संस्थानों में भर्ती होने की तथाकथित परीक्षा आयोजित की, वरन् छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों की निजी व व्यावसायिक जानकारी भी चंद रुपयों के लालच में बेच दी।
टैलेंटक्स के नाम पर कोचिंग में एडमिशन की चाल स्कूल कर रहे दलाली
एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट की ओर से टैलेंटेक्स प्री 2015 परीक्षा 28 सितम्बर 2014 को देश के 9 राज्यों में 203 केंद्र पर आयोजित हुई। इस परीक्षा में राज्यों के प्रमुख सीबीएसई स्कूल में 5वीं से 12वीं क्लास के बच्चों ने भाग लिया। इस तथाकथित टैलेंटेक्स परीक्षा को दूसरा चरण 13 राज्यों में 12 अक्टूबर को आयोजित किया गया। इसी दिन इंदौर शहर के बड़े स्कूलों में इसे आयोजित किया गया। इसका परिणाम 27 अक्टूबर को घोषित किया जाएगा। सफल विद्यार्थियों के लिए 16 नवंबर को देश के 22 राज्यों में 200 से अधिक शहरों में इसे आयोजित किया जाएगा।
करोड़ों रुपए के पुरस्कार व छात्रवृत्ति का लालच
एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट द्वारा आयोजित इस फर्जी परीक्षा में छात्रों को अधिक से अधिक संख्या में अपने कोचिंग इंस्टिट्यूट में भर्ती करने के लिए नकद 1 करोड़ 20 लाख रुपए पुरस्कार के रूप में बांटने का लालच खुलेआम दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर छात्रों को अपने इंस्टिट्यूट में भर्ती करवाने के लिए छात्रवृत्ति के नाम पर भ्रमित किया जा रहा है, जबकि यदि कोई छात्र एलेन में एडमिशन लेता है, तो उसकी कुल फीस का मात्र 5 से 10 प्रतिशत उसे छात्रवृत्ति के रूप में दिया जाएगा।
जरा एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट की फीस पर नजर डालें
आईआईटी/जेईई कोचिंग के लिए
10वीं व 11 के छात्रों के लिए 95000/-
11वीं से 12वीं के छात्रों के लिए 1,00000/-
12वीं पास छात्रों के लिए 1,04,000
मेडिकल के लिए
10वीं से 11वीं के छात्रों के लिए 85,000/-
11वीं से 12वीं के छात्रों के लिए 88,000/-
12वीं पास छात्रों के लिए 90,000/-
कॅरियर फाउंडेशन कोर्स
6ठी के छात्रों के लिए 26000/-
7वीं के छात्रों के लिए 32,000/-
8वीं के छात्रों के लिए 34,000/-
9वीं के छात्रों के लिए 37,000/-
10वीं के छात्रों के लिए 40,000/-
सिर्फ सीबीएसई/आईसीएसई/व राज्य शासन से मान्यता प्राप्त इंग्लिश मीडियम छात्रों के लिए। इसके अलावा टैबलेट बेचना व डिस्टेंस लर्निंस के माध्यम से कोर्सेस भी बेचते हैं।
७०० करोड़ रुपए का धंधा है एलेन कोचिंग इंस्टिट्यूट का
एलेन कोचिंग इंस्टिट्यूट के भारत में 5 सेंटर कोटा, चंडीगढ़, अहमदाबाद, जयपुर व इंदौर को मिलाकर तकरीबन 70 हजार बच्चे कोचिंग ले रहे हैं। डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से व ई-टैबलेट कोर्स मटेरियल्स को बेचकर व इसके अलावा होस्टल एवं मेस आदि का खर्च तकरीबन 1 लाख रुपए से ज्यादा प्रति छात्र वार्षिक आता है। इस तरह 700 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष छात्रों व अभिभावकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर तथा स्कूलों की मिलीभगत से कमाया जा रहा है।
छात्रों व अभिभावकों की निजी जानकारी बेचकर कमाए करोड़ों रुपए
टैलेंटटेक्स परीक्षा में इंदौर के प्रमुख शिशुकुंज, डीपीएस, डेली कॉलेज, सेंट रैफियल्स, सेंट अरनाल्ड, सेंट पॉल, वैष्णव के अलावा और कई प्रमुख सीबीएसई स्कूलों ने यह परीक्षा अपने स्कूलों में आयोजित करवाई और प्रति छात्र 100-100 रुपए आवेदन के साथ जमा करवाकर लाखों रुपए की अवैध कमाई की। स्कूलों में छात्रों को एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट का प्रमोशनल मटेरियल्स बांटा गया। 2.30 घंटे की यह परीक्षा अपने स्कूल में आयोजित की और छात्रों के घर का पता, उनमें अभिभावकों की आर्थिक जानकारी व व्यवसाय, टेलीफोन नं., मोबाइल नं. की जानकारी प्रति छात्र 2000 से 5000 रुपए तक एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट को बेचकर लाखों करोड़ों-रुपए इन स्कूलों द्वारा कमाए गए। इसके अलावा हजारों बच्चों को इस तथाकथित परीक्षा में ऑनलाइन भाग दिलवाया। छात्रों को प्रश्न पत्रों की जो बुकलेट दी गई, उसमें प्रथम से लेकर अंतिम पृष्ठ तक एलेन कॅरियर इंस्टिट्यूट के विज्ञापनों की भरमार थी।