@री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर
यह कैसा फैसला है! सेज यूनिवर्सिटी की मालकिन किरण अग्रवाल को किस अपराध के लिए 3 साल जेल की सजा!
बिना किसी सबूत के श्रीमती किरण अग्रवाल और उनके साथ बोली लगाने वाली कोमल को बैंक अधिकारियों के साथ षड्यंत्र करने का दोषी पाया गया! न तो उन्होंने कोई कूट रचित दस्तावेजों का निर्माण किया और न ही कोई छल किसी के साथ किया! सिर्फ उन्होंने इस नीलामी प्रक्रिया में बोली लगाने वाले उम्मीदवार के तौर पर विधिवत भाग लेकर 1 लाख 50 हजार रुपए की बोली लगाई थी जिसे बैंक अधिकारियों द्वारा मान्य कर लिया गया था!
उन पर लोकायुक्त पुलिस ने सिर्फ इस आधार पर बिना किसी सबूत के षड्यंत्र का आरोपी बनाया क्योंकि नीलामी में बोली लगाकर तुमने जमीन खरीदी!
प्राइवेट यूनिवर्सिटी सेज के मालिक संजीव अग्रवाल की धर्मपत्नी श्रीमती किरण अग्रवाल और उनकी सहयोगी कोमल लुल्ला को भोपाल के सेशन न्यायालय के जज मनोज कुमार सिंह ने 17 साल पुराने, बैंक अधिकारियों द्वारा फर्जी और कूट रचित नीलामी दस्तावेजों का निर्माण कर बैंक मे गिरवी रखी एक किसान की 4.92 एकड़ जमीन को नीलामी में बोली लगाकर खरीदने के आरोप में 3 साल जेल की सजा 6 दिसंबर 2024 को अपने फैसले में सुनाई हैं!
जबकि आज दिनांक तक न तो उन्हें उपरोक्त क्रषी भूमि का कब्जा मिला और न ही जमा की गई राशि मिली! उल्टे 3 साल की जेल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई. और यह सब उन्हें भुगतना पड़ रहा है मध्यप्रदेश सरकार के किसानो के कल्याण के लिए बनाई गई जिला सहकारी क्रषी और ग्रामीण विकास बैंक भोपाल के भ्रष्ट और धूर्त अधिकारियों और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और अपराधिक कृत्यों की वजह से?
8 अगस्त 2007 को किसानो के एक समूह ने लोकायुक्त कार्यालय भोपाल को लिखित आवेदन में इस आशय की शिकायत दर्ज करायी कि जिला सहकारी क्रषी और ग्रामीण विकास बैंक भोपाल के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा द्वारा सन 2000 से 2007 के दरमियान 141 ऐसे किसानो की जिन्होंने जिला सहकारी क्रषी और ग्रामीण विकास बैंक भोपाल मे अपनी बहुमूल्य क्रषी भूमि गिरवी रखकर लोन लिया था को बिना नियम एवं प्रक्रिया का पालन किए नीलामी के फर्जी और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर बाजार मूल्य तो दूर की बात, सरकारी मूल्य से भी कम पर निजी लोगों को बेचकर न सिर्फ किसानो के साथ धोखा किया वरन सरकार के खजाने को मिलने वाले स्टाम्प शुल्क को भी हानि पहुंचायी!
उपरोक्त आवेदन की लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई जांच मे एक किसान अशोक कुमार के प्रकरण में जिसमें किसान अशोक ने 4.92 एकड़ क्रषी भूमि गिरवी रखकर सन 1995 में मात्र 29 हजार रुपए का लोन मोटर पम्प लेने के लिए लिया था. उसकी 4.92 एकड़ जमीन को कलेक्टर गाइड लाइन से कम पर फर्जी और कूट रचित नीलामी के दस्तावेज निर्माण कर बेईमानी से नीलाम कर किरण अग्रवाल और कोमल लुल्ला को नीलामी में 1 लाख 50 हजार रुपए में देने के आरोप में लोकायुक्त भोपाल ने भादवि की धारा 420, 467,468,471,120 बी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धाराओ के तहत एफ आई आर दर्ज कर बैंक मेनेजर अवधेश सिंह, विजेंद्र कुमार कौशल (विक्रय अधिकारी नीलामी कर्ता जिला सहकारी क्रषी और ग्रामीण विकास बैंक भोपाल), ए पी एस चौहान (तत्कालीन सहकारिता वरिष्ठ निरीक्षक,) अशोक मिश्रा (उप पंजीयक सहकारी संस्था भोपाल) और अन्य के साथ श्रीमती किरण अग्रवाल और कोमल पति गिरीश लुल्ला को आरोपी बनाया था.
12 साल बाद दिनांक 17 अप्रैल 2007 को सेज यूनिवर्सिटी की मालकिन किरण अग्रवाल जो सेज यूनिवर्सिटी के संस्थापक संजीव अग्रवाल की पत्नी हैं ने कोमल लुल्ला के साथ विधिवत बोली लगाकर 1 लाख 50 हजार रुपए में उपरोक्त 4.92 एकड़ क्रषी भूमि में से 2 एकड़ को बैंक से खरीदा था!
जबकि उपरोक्त क्रषी भूमि की नीलामी की कारवाई सन 2001,2004, में भी बैंक द्वारा की गई थी किन्तु 2001 में कोई भी उम्मीदवार बोली लगाने के लिए नहीं आया और 2004 में 90 हजार रुपए तक की बोली को फाइनल कर देने के बाद किसान द्वारा कर्ज के भुगतान के लिए 25 हजार जमा कर बाकी बचे हुए कर्ज के लिए समय लेने के कारण निरस्त की गई थी.
@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर

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