@री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

शहर भाजपा का अध्यक्ष ऐसा व्यक्तित्व और नेतृत्व हो जो इंदौर शहर के विधायको, सांसद, महापौर और पार्षदों पर भारी हो।

कोई तो पैमाना या कसौटी होगी जिससे उन लाखो कार्यकर्ताओं का शहर अध्यक्ष चुना जाएगा। जिसकी मेहनत और निष्ठा के दम पर तुम सत्ता का सुख भोग रहे हो! मलाई का आनंद उठा रहे हो! और सरकार के इकबाल और रुतबे को वर्षो से जी रहे हो? या फिर तुम्हारा पट्टा, प्यादा, पालतू या पुत्र होना ही एकमात्र कसौटी है?

इंदौर जिले मे भाजपा की चुनावी राजनीति की रीढ़ है पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता। बात सांसद जिताने की हो या महापौर को जिताने की, एक दो विधायको को यदि छोड़ दे तो इंदौर जिले के 9 विधायकों में से तकरीबन 7 विधायको की चुनाव में जीत को सुनिश्चत बनाने का शत प्रतिशत श्रेय भी भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को ही जाता है!

फिर चाहे बात कांग्रेस से भाजपा मे आए केबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्य मित्र भार्गव से लेकर पहली बार विधायक बने गोलू शुक्ला हो या कई बार से विधायक बन रहे विधानसभा 5 के महेन्द्र हार्डिया हो! ये आज जिस मुकाम पर है, उनको यहां तक पहुँचाने का पूरा श्रेय भाजपा के कार्यकर्ताओं को ही है।

और सबसे बड़ी बात तो यह है कि प्रदेश और शहर के सबसे कद्दावर नेता, मंत्री और विधायक कैलाश विजयवर्गीय तो अपनी सभी चुनावी जीत का पूरा श्रेय ही भाजपा के कार्यकर्ताओं को देते हैं! कई चुनावी सभा में भाजपा कार्यकर्ताओं को वो कार्यकर्ता नहीं शेर की उपाधि देते आए हैं।

जिस कार्यकर्ता की मेहनत के बल और दम पर कुछ लोग पार्षद, विधायक, महापौर, सांसद और मंत्री पद पर बैठकर सत्ता का सुख और मलाई के भोग का आनंद उठा रहे हैं! उन लाखो कार्यकर्ताओं के अध्यक्ष को चुनने के लिए यही लोग अपने पटट्ठे, पुत्र, प्यादे या पालतू के लिए शतरंज की शातिर चालें चल रहे हैं?

इंदौर शहर में गुमनामी में चली गई एक पार्टी का अध्यक्ष थे पंडित कृपाशंकर शुक्ला। जिसका व्यक्तित्व और नेतृत्व शहर की सरकार से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सरकार में बोलता था।

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

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