@री डिस्कवर इंडिया न्यू्ज इंदौर
जमकर और खुलकर पैसे लेकर सेक्स करो और करवाओ अब पुलिस न आरोपी बनाएगी और न ही ग़िरफ़्तार करेगी।
बदल रहा है भारत! होटल, ढाबों और कारों में शराब पीना गैर कानूनी है, लेकिन अवैध और पैसे ले – देकर सेक्स करना न तो अवैध है, न गैर कानूनी है और नहीं अनैतिक है!
वेश्यावृत्ति, अवैध सेक्स, और सेक्स का व्यापार ये तीनों की परिभाषा बिल्कुल अलग अलग है।
बुद्ध के ज़माने से चली आ रही वेश्यावृत्ति मे लड़की और महिला पीड़िता होती थी, मजबूरी, गरीबी और उत्पीड़न की वजह से लड़कियों या महिलाओं को इस धंधे में धकेला जाता था। उनकी खरीद फरोख्त होती थी। जबरदस्ती और अनैतिक होता था सबकुछ। अब इस तरह के परंपरागत वेश्यालयों का ज़माना खत्म हो चुका है। जहा पर और जिन शहरो मे चल रहा है तो वो शहर के बीचो बीच खुले आम सरकार और पुलिस के सामने चल रहा है! किसी से कुछ छुपा हुआ नहीं है। पूरा देश जानता है।
अवैध सेक्स मे मनचाहे साथी के साथ शारीरिक भूख मिटाना के अलावा शादी और प्यार के नाम पर, अय्याशी और बदचलनी के नाम पर सेक्स करना जिसकी परिणिति सुखद और दुःखद धोखे मे भी हो सकती है। इसमे पैसों का ज्यादा मह्त्व नहीं रहता है। यह शारीरिक और मानसिक संतुष्टि के लिए किया जाता है। कानून में इसे भी अपराध मुक्त कर दिया गया है।
आज के आधुनिक और ग्लोबल भारत में वेश्यावृत्ति का परंपरागत शोषित और प्रताड़ना वाले व्यवसाय की जगह पैसों की भूख, ऊंची महत्वाकांक्षा, हाई सोसाइटी, और जल्द पैसा कमाकर सारे सपने पूरे करने की होड़ भी कई लड़कियों और महिलाओं ने कॉल गर्ल के रूप में सेक्स को व्यवसाय बना लिया है!
तो यह आदेश किसके फायदे के लिए है?
दिनांक 3 अप्रैल 2025 को विशेष पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा) प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने पुलिस मुख्यालय भोपाल से प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक और रेलवे पुलिस के अधीक्षक के अलावा इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख कर आदेशित किया है कि होटल, ढाबों या किसी अन्य जगह पर “वेश्यावृत्ति करना अपराध नहीं है। किसी भी वेश्यावृत्ति करने वाली लड़की या महिला को पुलिस गिरफ्तार न करे।”
पुलिस मुख्यालय से जारी उपरोक्त आदेश पत्र में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के क्रिमिनल अपील क्रमांक 135/2010 बुद्ध देव कर्मासकर विरुद्ध पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य में पारित आदेशानुसार —
“वेश्यालयों पर दबिश की दशा में स्वावेक्षिक लैंगिक कार्य अवैध नहीं है। केवल वेश्यालय चलाना अवैध है, सेक्स वर्कर को गिरफ्तार, दंडित अथवा परेशान नहीं करना चाहिए।”
का हवाला देते हुए सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक, इंदौर और भोपाल के पुलिस कमिश्नर के अलावा रेल्वे पुलिस अधीक्षकों को उपरोक्त दिशा निर्देशों का अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के अपराध में सुधरता एवं कड़ाई से पालन किया सुनिश्चत करने का आदेश दिया है ।
पुलिस मुख्यालय भोपाल से जारी इस आदेश से तो जब पैसे लेकर सेक्स करने वाली लड़की या महिला को न तो आरोपी बना सकती है और न ही ग़िरफ़्तार कर सकती है। तो फिर वो पुरुष ग्राहक को न्यायालय में कैसे अपराधी सिद्ध कर सकती है। और साथ में जब सेक्स वर्कर और ग्राहक को अपराधी सिद्द नहीं कर सकती है, तो होटल और ढाबों वालों को कैसे अपराधी बनाएगी?
और वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने स्वैक्षिक लैंगिक कार्य (सेक्स) को अवैध नहीं माना है। फ़िर चाहे वो पैसे लेकर किया गया हो या बिना पैसे लिए। अवैध और अनैतिक शब्दों की सेक्स में अब कोई कानूनी मान्यता नहीं है।
और दूसरी तरफ अवैध सेक्स को अपराध मानने के कानून को पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है। तो फिर अब बचा ही क्या! खुल कर मौज करो?
@प्रदीप मिश्रा री डिस्कवर इंडिया न्यू्ज इंदौर