@री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

56 दुकान में अर्धनग्न अवस्था में, सिर्फ ब्रा पहनकर अपने वक्ष स्थल का प्रदर्शन करती हुई लड़की हमारे समाज में बेशर्म, बेहयाया, कुसंस्कारी, तो हो सकती है, किन्तु अश्लील नहीं और न ही अश्लीलता फैलाने वाली।

 क्योंकि अश्लीलता की परिभाषा कानूनी है.अश्लीलता कानूनी रूप से अपराध की श्रेणी में आने वाला शब्द है, जो किसी प्रकार की यौन सामग्री (पुस्तकें, ऑडियो – वीडियो) को सार्वजनिक रूप से  प्रदर्शित करने बेचने से संबंधित हैं,इसके अलावा सार्वजनिक जगहों पर यौनिक संबंध करते हुए या यौन सबंध बनाने के लिए उकसाने का कृत्य अश्लीलता की श्रेणी में आता है।

स्त्री या लड़की का अर्धनग्न शरीर अश्लील नहीं होता है। अश्लील होते है, पुरुषों को रिझाने के उसके कामुक कृत्य, चाल चलन और चरित्र।

अश्लीलता और वासना युक्त अपराधिक कामुकता तो देश के स्त्री शोषित पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता की निगाहों में है!

  • एक अर्धनग्न लड़की कैसे 40 लाख लोगों के शहर में अश्लीलता फैला सकती है?
  • हा वो किसी कामुक पुरुष की कामुकता को जरूर बढ़ा सकती है।
  • प्रश्न यह है कि क्या भारत का पुरुष समाज अपराधिक रूप से कामुक है?

पश्चिम के देशों में लड़किया और महिलाएं समुद्री बीच पर बड़ी संख्या में टू पीस बिकनी में या समुद्र में स्नान करती या सन बाथ लेते हुए बड़े आराम से घूमती है, कहीं कोई अश्लीलता वहाँ नहीं दिखती है! कोई अपराधिक कामुक नजर उन्हें घूरती नहीं है! वहाँ कि सड़कों, बाजारो, होटल, रेस्तरां, बार, पब में अर्ध नग्न पोशाकों मे लड़किया और महिलाएं बड़े आराम से पुरुषों के बीच में अपना समय बिताती है! कही कोई अश्लीलता और यौन कामुकता का आभास वहां के पुरुषो में सार्वजनिक रूप से परिभाषित नहीं होता है!

लेकिन भारत और भारत के कुछ पड़ोसी देशों में स्त्री की संपूर्ण देह फिर चाहे वह किसी भी पोशाक में हो, वो चाहे साड़ी हो या अर्ध अंग प्रदर्शित करती कोई पश्चिमी पोशाक हो या काले बुर्के और लिबास मे हो! यहां के रूढ़िवादी और स्त्री शोषित पुरुष प्रधान समाज में अपराधिक, वासना से भरी कामुक घूरती हुई नजरों में अश्लील हो जाती है!

इस देश में लड़किया और महिलाएं तभी सुरक्षित महसूस करेंगी जब उनके ईश्वर प्रदत्त शारीरिक उभार, और वक्षस्थल अश्लीलता और कामुकता की अपराधिक नजरों से नहीं देखे जाएंगे? फिर चाहे वह किसी स्त्री या लड़की की पोशाक से ही प्रदर्शित हो रहे हो।

आज भारत में स्त्रियां पुरुषों की अपराधिक कामुक नजरों से बचने के लिए नदियों, तालाबों और समुद्र में साड़ी या सलवार सूट पहनकर नहाने के लिए विवश है?

तपती गर्मी और तेज धूप में भी साड़ी और सलवार सूट पहनने को विवश है? क्योंकि हर तरफ कोई अपराधिक पुरुष उन्हें वासना से भरपूर कामुक नजरों से घूर रहा होता है?

और बेशर्मी की हद तब पार हो जाती है जब कोई माँ अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए अपने स्तन निकालती है, तब भी कई चरित्रहीन पुरुष उस समय जब माँ अपने बच्चे को दूध पिला रही होती है, तब अपराधिक कामुक द्रष्टि से माँ के स्तन को निहारते है!? इसलिए बिचारी माँए अपने बच्चे को अपनी साड़ी या दुपट्टे से ढक देती है! जो बच्चे के लिए बहुत तकलीफ देह होता है. या फिर किसी एकांत की तलाश करती है अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए!

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

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