@री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

BRTS हटाने का निर्णय मातम मनाने का है, न कि जश्न मनाने का?

जनता के टैक्स के तकरीबन 400 करोड़ रुपये की लागत से मात्र 10 साल पहले, शहर के गरीब, निम्न मध्यमवर्गीय, मध्यमवर्गीय कामकाजी, विद्यार्थियों को तेज गति से पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए इंदौर के ए बी रोड पर बने, 11.50 किलोमीटर के लंबे BRTS लेन (गलियारे) को हटाने का मुख्यमंत्री का फरमान इंदौर के लिए जश्न मनाने का दिन नहीं है?

अपितु यह सरकार, इंदौर के जनप्रतिनिधियों व सरकार के आला अधिकारियों की अदूरदर्शीता, अज्ञानता व जनता की मेहनत की कमाई से करोड़ों रुपये चुकाए गए टैक्स को बर्बाद करने और विकास की विकसित योजनाओं को बलि चढ़ाने का एक ऐसा जीता जागता उदाहरण है कि जिसका मातम इस शहर की जनता को पूरे विधि विधान से मनाना चाहिए?

क्या सन 2013 मे शहर के जनप्रतिनिधियों को यह पता नहीं था कि ए बी रोड पर चौतरफा यातायात सुगम बनाने के लिए ओवर ब्रिज की आवश्यकता है? या बी आर टी एस की? 300 से 400 करोड़ रुपये मे तो 10 से ज्यादा ओवर ब्रिज बनाए जा सकते थे?
और सबसे महत्वपूर्ण बात पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उपलब्धता और ट्रेफिक जाम दो अलग अलग मुद्दे है। 

केंद्र सरकार और विश्व बैंक की सहायता से शहर के 120 किलोमीटर दूरी तक की अंदरूनी सड़कों पर तेज व बाधा रहित, वातानुकूलित पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाने के लिए कॉरिडोर जिसे BRTS योजना के तहत बनाने की पूरी योजना को मात्र 11.50 किलो मीटर के ए.बी पायलट प्रोजेक्ट पर ही बलि चढ़ा दिया गया?

11.50 किलो मीटर लंबे ए.बी रोड बी आर टी एस को हटाने का निर्णय का मुख्य कारण ए.बी रोड पर ट्रैफ़िक जाम को रोकना और यातायात को सुगम बनाना है?

तकरीबन 55000 विद्यार्थी, वर्किंग प्रोफेशनल, निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार रोज तेज गति से तकरीबन 59 आई बसों में यात्रा करते थे। अब वो कैसे परिवहन करेंगे? क्या अब ए बी रोड पर करीब 30 से 40 हजार टू व्हीलर का ट्रैफ़िक नहीं बढ़ेगा? एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, वीआईपी मूवमेंट, व अन्य इमर्जेंसी सर्विसेस के लिए यह कॉरिडोर इस्तेमाल होता था, अब उसका क्या होगा?

59 आई बसे जो इस कॉरिडोर पर रोज चलती थी उन्हें कहा समायोजित करेंगे?

बी आर टी एस कॉरिडोर को हटाने से क्या ग्यारंटी है कि ए बी रोड पर ट्रैफ़िक जाम नहीं होगा?

किसी भी शहर में तेज गति से पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। और अभी सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं है कि ए बी रोड पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए क्या वैकल्पिक व्यवस्था है?

शहर के जनप्रतिनिधियों और सरकार मे बैठे आला अधिकारियों की मूढ़ता, अज्ञानता, अदूरदर्शीता, भ्रष्टाचार और शहर को बर्बादी और विकास के नाम पर अनियोजित विनाश के सेकड़ो उदाहरण आज इंदौर शहर मे मौजूद हैं जिसमें बी आर टी एस, पूर्वी बाइपास, अवैध कालोनियों, अवैध निर्माण और अब नंबर है शहर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का? जिसकी उपयोगिता शहर से ज्यादा शहर के 60 किलोमीटर की परिधि में ज्यादा है?

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

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