@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर
क्या 33 फीसदी महिला सांसदों और विधायकों का स्वतंत्र, अस्तित्व, चेतना और विचार इस पुरुष प्रधान देश मे संभव है!?
- कौन से तबके, वर्ग और परिवारो की ये महिलाएं होंगी और समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करेंगी!?
- देश की 50 फीसदी आबादी की देश की संसद और विधानसभाओ में स्वतंत्र, निर्भीक और बेबाक, मुखर आवाज की 33 फीसदी महिलाओं को ही मिले संसद और विधानसभा में जाने का मौका इसको सुनिश्चित करो मोदी जी!
- 33 फीसदी महिला आरक्षण के नाम पर, 90 फीसदी महिलाएं राजनेताओ के परिवारों, राजे – रजवाड़े, फिल्मी घरानों, के अलावा बाहुबली, गैंगस्टर, भ्रष्टाचारीयों के परिवारों की महिलाएं, रखेले, प्रेमिकाए आदि ही देश की संसद, राज्यों की विधानसभाओं में अपने पतियों, हुक्मरानो और पार्टी आलाकमानो के लिए या तो चुप रहेंगी या अनर्गल प्रलाप करेंगी!?
आदि काल से पुरुष प्रधान समाज के इस देश में महिलाओं का स्वतंत्र अस्तित्व न के बराबर रहा है!
इक्का – दुक्का अपवादों को छोड़ कर यदि बात करे तो रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक! सामंतवादी राजा – रजवाड़े के युग से लेकर देश की आज़ादी तक! और आज़ादी से लेकर आज तक कुल जमा 10 ऐसी महिलाओं के नाम जो राजे रजवाड़ों, अभिजात्य वर्ग या राजनीतिक घरानों से आती हो! इस देश में कोई नहीं बता सकता है!
जिन्होने रोटी, कपड़ा, मकान, रोजगार, भ्रष्टाचार, विकास, शिक्षा, स्वास्थ, कानून, न्याय व्यवस्था, जातिवाद, संप्रदाय वाद आदि की तो बहुत दूर की बात है! स्वयं घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न, प्रतारणा, दहेज प्रथा, अशिक्षा और स्वतंत्रता के लिए कोई सामाजिक, राजनैतिक आंदोलन या क्रांति इस देश में की हो!?
@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर