ISSSDB प्राइवेट सुरक्षा गार्ड कंपनी एवं मै.सालासर सिक्योरिटी सर्विस को सुरक्षा गार्डों को न्यूनतम वेतन नहीं देने पर लगाया दस गुना जुर्माना
श्रम न्यायालय ने सुरक्षा गार्डों को वेतन का 10 गुना देने के दिए आदेश
री-डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर। ग्वालियर जिले में श्रमिकों को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन नहीं दिए जाने की शिकायतें कार्यालय सहायक श्रमायुक्त, ग्वालियर में प्राप्त हो रही थीं। शिकायतों के निराकरण हेतु श्रमिकों के हितलाभ सुनिश्चित करने हेतु श्रम अधिकारियों द्वारा लगातार कार्यवाही की जाती रही है। ऐसी ही विभिन्न दो शिकायतों पर कार्यवाही करते हुए सहायक श्रमायुक्त, एससी मिश्रा द्वारा सुरक्षा गार्डों को न्यूनतम वेतन नहीं देने के कारण नियुक्त करने वाली कंपनी के ऊपर दस गुना पेनल्टी के साथ कुल 31 लाख रुपए की राशि श्रमिकों को भुगतान किए जाने के आदेश जारी किए गए हैं।
अशोक गोस्वामी, अध्यक्ष सुरक्षा एजेंसी कर्मचारी संघ द्वारा मै.सालासर सिक्योरिटी, एंड हाउस कीपिंग सर्विस (होटल सेंट्रल पार्क) में कार्यरत संघ के सदस्य मनोज सिंह सेंगर पुत्र जयराम सिंह सेंगर एवं ISSSDB security pvt. Ltd. में कार्यरत सुरक्षा गार्ड मुनेन्द्र भदौरिया को न्यूनतम वेतन नहीं दिए जाने का दावा प्रकरण प्राधिकारी, न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 एवं सहायक श्रमायुक्त, ग्वालियर के न्यायालय में प्रस्तुत किया था। दोनों सुरक्षा एजेंसियों के मालिकों को प्राधिकारी, न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 एवं सहायक श्रमायुक्त, ग्वालियर द्वारा पर्याप्त समय एवं अवसर दिए जाने पर भी जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया एवं न ही श्रमिकों को उनके हक का वेतन दिया गया। प्रकरणों में बार-बार सुनवाई करने पर सुरक्षा गार्ड उपस्थित हुए एवं अपनी व्यथा बताई। सुरक्षा गार्ड से प्रतिदिन 12 घंटे की मजदूरी बिना किसी अवकाश के पूरे माह कराई जाती थी एवं न्यूनतम वेतन से भी कम दिया जाता था, जिसमें सुरक्षा गार्ड का जीवन यापन भी सही तरीके से नहीं हो पाता था। श्रम विधान के मुख्य उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए एवं सुरक्षा गार्ड को मौलिक मेहनताना दिलाने के लिए एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए प्राधिकारी, न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 एवं सहायक श्रमायुक्त, एचसी मिश्रा द्वारा एक पक्षीय कार्यवाही की एवं श्रमिक हित में अपना फैसला सुनाया। फैसले से सुरक्षा गार्ड को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी के साथ-साथ दस गुने का हर्जाना भी दोनों सुरक्षा एजेंसियों को देना पड़ेगा। भुगतान नहीं करने पर न्यायालय द्वारा वसूली की जाएगी।