@री डिस्कवर इंडिया न्यूज़
कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला जन्मदिन के विज्ञापनों की भरमार से नेता नहीं बने हैं! कोई समझाए इन हल्के छुटभैये नेता और नेता पुत्रों को।
गरीबी में विचारधारा और चरित्र की श्रेष्ठता के साथ, समाज और शहर के विकास के लिए संघर्ष किया है और लोगों के दिलों को जीता है तब आज इस मुकाम पर है।
हल्के और छुटभैये नेता और नेतापुत्र पैसों की ताकत से शहर भर को होर्डिंग, पोस्टर और विज्ञापनों से तो पाट दोगे पर समाज और शहर में कैलाश और रमेश जैसा वजन कहा से लायेंगे?
वजन तो काबिलियत, चरित्र, संघर्ष और मेहनत से ही आएगा! बाप दादाओ की जागीर या किसी कद्दावर के तलवे चाटने या उनकी कृपा द्रष्टि की वजह से नहीं आएगा?
पहले अपने व्यक्तित्व और किरदार में वजन पैदा करो फिर शहर क्या पूरा प्रदेश और देश तुम्हें सलाम ठोकेगा। किसी विज्ञापन की जरूरत नहीं पड़ेगी। अखबार और शहर तुम्हारा विज्ञापन स्वयं करेंगे।
आजकल कई छुटभैये नेताओ और जनप्रतिनिधियों के जन्मदिन पर पूरे शहर को होर्डिंग और विज्ञापनों से पाट देना अहंकार, मानसिक दिवालियापन और समाज में उनकी हीन भावना (inferiority complex) को दर्शाता है!
इस तरह के जन्मदिन में पैसों से छपवाए गए विज्ञापनों की भरमार राजनैतिक, और मानसिक रूप से हल्केपन को समाज और शहर मे प्रदर्शन को दर्शाता है?
इंदौर शहर मे कई ऐसे नेता पुत्रों के भी जन्मदिन पर पूरे शहर को होर्डिंग और विज्ञापनों की भरमार से पाट दिया जाता है जो कभी कॉलेज तक नहीं गए! और न ही कोई व्यक्तिगत शैक्षणिक, सामाजिक शारीरिक, या मानसिक योग्यता का कोई परिचय शहर की बात तो दूर की परिवार और मोहल्ले वालों को भी पता नहीं है?
ज्यादातर उन छुटभैये नेताओ और नेता पुत्रों के जन्मदिन के विज्ञापनों से शहर को पाट दिया जाता है, जिनके क्षेत्रों में गरीबी, बेरोजगारी, अपराधिक तत्वों और अशिक्षा का परचम पूरे शहर में कोढ़ की तरह लहरा रहा है!
इस तरह छुटभैये नेताओ और नेता पुत्रों के जन्मदिन के विज्ञापन से शहर और अखबारों को पाट देना उन लाखो शिक्षित, ईमानदार और मेहनतकश युवाओ और समाज को मुह चिढ़ाना है जो इस भ्रष्ट और अपराधिक राजनीतिक व्यवस्था में रोजी रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं? जिसके ब्रांड एंबेसडर ये छुटभैये नेता और नेता पुत्र हैं और वो नेता पुत्र है जिनकी अभी अकल दाढ़ भी नहीं आई है।
@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्ज इंदौर