@री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

दुनिया के सबसे खतरनाक 337 टन जहरीले कचरे को पीथमपुर मे नष्ट करने का फैसला करने का अधिकार माननीय न्यायालय को कैसे और किस आधार पर दिया गया इसका खुलासा करे सरकार?

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पीछे सरकार अपने पापो और गैरजिम्मेदाराना कृत्यों को छिपाने का निकम्मा और कमीनापन कम से कम भोपाल गैस त्रासदी कांड के बाद तो अब इंदौर और मालवा की जनता के साथ न करे तो बेहतर होगा?

बेशक जहरीला कचरा नष्ट करो लेकिन यह भी ग्यारंटी मध्यप्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार दे कि किसी को कोई हानि नहीं होगी फिर वह इस जगत में कोई भी सजीव हो!

तकनीक और विज्ञान पर आधारित दुनिया के सबसे खतरनाक जहरीले यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे को नष्ट करने के मामले में निर्णय सरकार को निश्चित करना था या न्यायालय को? किसकी जिम्मेदारी थी सरकार की या न्यायालय की?

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कब, कैसे, कहां पर और कौन इस जहरीले केमिकल कचरे को नष्ट करेगा? यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य और केन्द्र सरकार की थी! इसमे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का क्या काम था? कैसे यह केस न्यायालय गया सरकार बताए?

क्या मध्यप्रदेश और केन्द्र सरकार ने कोई शपथ पत्र इस आशय का माननीय न्यायालय में दिया या न्यायालय ने लिया है कि दुनिया के सबसे खतरनाक जहरीले यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे को नष्ट करने मे पीथमपुर और उसके आसपास के जिलों को किसी भी प्रकार की जन हानि और पर्यावरण हानि, कोई दुष्प्रभाव या दुष्परिणाम वर्तमान और भविष्य में नहीं होंगे?

और यदि कुछ भी 19 – 20 होगा तो उसके लिए जिम्मेदार मध्यप्रदेश और केन्द्र सरकार सयुंक्त रूप से होगी?

सुप्रीम कोर्ट ने किस तकनीकी और वैज्ञानिक एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर यह फैसला सुना दिया कि मध्यप्रदेश के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में 337 मेट्रिक टन भोपाल गैस कांड के यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाया जाय? इसका खुलासा सरकार करे? कौन कौन विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और विषय के पारंगत देश दुनिया के एक्सपर्ट शामिल थे कमेटी मे? यह जनता को बताए सरकार?

पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित हैदराबाद की कंपनी रामकी लिमिटेड को कैसे और किस अनुभव के आधार पर चुना गया इस 337 टन कचरे को नष्ट करने के लिए? इसका भी खुलासा करे सरकार?

किस वैज्ञानिक और तकनीक के इस्तेमाल से हैदराबाद की रामकी कंपनी कचरे को नष्ट करेगी, जिससे पीथमपुर और उससे लगे आसपास के जिलों खासकर इंदौर और धार की जनता और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव और दुष्परिणाम वर्तमान और भविष्य में नहीं आयेंगे! इसका कोई एफिडेविट किसी न्यायालय या सरकार के समक्ष लिया या दिया गया है? इसका खुलासा सरकार करे?

आज से 40 साल पहले 2 और 3 दिसंबर की रात को प्रदेश की राजधानी भोपाल ने अमेरिका की डाउ केमिकल नाम की कंपनी के भोपाल स्थित कीटनाशक प्लांट यूनियन कार्बाइड के प्लांट से मिथाईल आइसोसायनाइट नाम की जहरीली गैस के रिसाव से भोपाल शहर के तकरीबन 5 से 8 हजार लोग तत्काल मौत के शिकार हो गए थे! और लाखो लोग अनेकों प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो गए!

इस भयावह औद्योगिक दुर्घटना के बाद दुनिया के सबसे खतरनाक जहरीले केमिकल का पूरा प्लांट एक जहरीले और खतरनाक कचरे में तब्दील हो गया!

तत्कालीन सरकार ने इतनी भीषण और दुर्दांत औद्योगिक दुर्घटना के दोषी विदेशी मालिकों को देश से भगाने मे पूरी मदद की?

इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या होगा कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने जहरीले कचरे में तब्दील हुई अमेरिका की कंपनी यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को नष्ट करने की जवाबदारी देने और तकरीबन 1000 करोड़ रुपये का भुगतान जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए लेने से इंकार कर दिया? 

पिछले 40 सालो से दुनिया का सबसे खतरनाक जहरीला केमिकल कचरा भोपाल के उसी यूनियन कार्बाइड मे पड़ा हुआ था!

@प्रदीप मिश्रा री डिसकवर इंडिया न्यू्‍ज इंदौर

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